परमार्थकारी पारिजात के फूलों-सा,
सजायेंगे सलौना आशियाना,
गुमनाम ग़मों से करेंगे सुलह,
नीड़ को निखार राह में स्नेहल फूल बिछायेंगे,
प्रीत के पवित्र पथ से गुज़रना,
अधरों पर मधुर मुस्कान सजायेंगे,
ऐ साहेब ! राह न भटकना जुगनू-सी चमक लिये
ज्योतिर्मय जीवन हम जगमगायेंगे।
सूनी पथरीली पगडंडियों पर,
दूब पाँव के छाले सहलाएगी,
जलते परिवेश को शीतल करने नील गगन में,
अब्र दुआ के उमड़ आयेंगे,
रातरानी की मादक महक बढ़ाएगी,
यामिनी का रहस्य,
ज्यों मिलता है तम से घनघोर तम
धरती-व्योम प्रेम यों बढ़ाएंगे।
सफ़र में हो अलौकिक आलोक,
लौ प्रियतम प्रीत की उस सफ़र में जलायेंगे,
आस प्रज्ज्वलितकर जीवन पथ पर,
तिमिर का सोया भाग्य जगायेंगे,
तुम्हारी पाकीज़ा मुस्कान को,
छू न पाये फ़रेब,
दुआ में उठेंगे अनगिनत हाथ
सज़दे में ख़ैरियत तुम्हारी उस ख़ुदा से चाहेंगे।
© अनीता सैनी
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसादर आभार
हटाएंसुंदर शब्दावली में एहसासात की गंभीर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंप्रकृति से जीवन की निकटता दर्शाती रचना पाठक से सीधा संवाद करती है।
सुंदर रचना।
सादर आभार आदरणीय रचना का मर्म स्पष्ट करती सुन्दर समीक्षा हेतु. अपना आशीर्वाद बनाये रखे.
हटाएंसादर
वाह अनीता ! तुम्हारी भाषा पर तो लगता है कि पन्त और फ़िराक़ दोनों का ही असर आ गया है.
जवाब देंहटाएंनि:शब्द हूँ आदरणीय सर आपकी समीक्षा पर और बहुत ख़ुश भी आपने मुझे बहुमूल्य ख्याति से नवाज़ा है तहे दिल से आभार आपका मैं और मेहनत करुँगी आपके शब्दों पर खरी उतरने का प्रयास रहेगा.अपना आशीर्वाद बनाये रखे.
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
६ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार प्रिय श्वेता दीदी जी पांच लिंकों के आनंद में मेरी रचना को स्थान देने के लिये.
हटाएंसादर
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति प्रिय सखी अनीता जी।सादर नमन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया
हटाएंसादर
वाह्ह्स्!! सुंदर मनोभाव सुंदर शब्दावली सुंदर काव्य ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन होता है आपका ।
दुआ है सदा यूं ही सबकी दुआ में रहो ।
सस्नेह।
सादर आभार आदरणीया दीदी जी सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंहमेशा ही आपकी समीक्षा मेरा उत्साह बढ़ाती है आपका स्नेह और सानिध्य यों ही बना रहे.
सादर
निशब्द हूँ अनीता जी !सराहना से परे है आपकी रचना....अद्भुत शब्दविन्यास से सजी बहुत ही उत्कृष्ट भाव....बहुत ही लाजवाब
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
सादर आभार आदरणीया दीदी जी सुन्दर समीक्षा हेतु. अपना स्नेह और साथ बनाये रखे और समय-समय पर मार्गदर्शन करते रहे.
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १ जुलाई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहहह
जवाब देंहटाएंमन से निकली दुआ । सुंदर अभव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंप्रीत के पवित्र पथ से गुज़रना,
जवाब देंहटाएंअधरों पर मधुर मुस्कान सजायेंगे,
ऐ साहेब ! राह न भटकना जुगनू-सी चमक लिये
ज्योतिर्मय जीवन हम जगमगायेंगे।
लाजवाब सृजन प्रिय अनीता