नितांत निर्जन नीरस
सूखे अनमने
विचार शून्य परिवेश में
पनप जाती है नागफनी,
जीवन की तपिश
सहते हुए भी,
मुस्कुरा उठती है,
महक जाते हैं
देह पर उसके भी,
आशा के सुन्दर सुमन,
स्नेह सानिध्य की,
नमी से,
रहती है वह भी सराबोर,
मरु की धूल-धूसरित आँधी में,
अनायास ही,
खिलखिला उठती है,
अपने भीतर समेटे,
अथाह मानवीय मूल्यों का,
सघन सैलाब,
बाँधती है शीतल पवन को,
सौगंध अनुबंध के बँधन में,
विश्वास का ग़ुबार,
लू की उलाहना,
जड़ों को करती है और गहरी,
जीवन जीने की ललक में,
पनप जाते है ,
काँटे कोमल देह पर।
©अनीता सैनी
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 29 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी संध्या दैनिक में मेरी रचना को स्थान देने के लिये.
हटाएंसादर
महक जाते हैं
जवाब देंहटाएंदेह पर उसके भी,
आशा के सुन्दर सुमन,
स्नेह सानिध्य की
बहुत खूब ,अनीता जी ,काँटों सा जीवन होते हुए भी सुंदर सुमन खिला ही देती हैं ये नागफनी
लाज़बाब सृजन सखी ,सादर स्नेह
सादर आभार आदरणीय कामिनी दीदी सुंदर समीक्षा हेतु. सादर
हटाएंलाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंजीवन की तपिश
सहते हुए भी,
मुस्कुरा उठती है वह,
महक जाते हैं
देह पर उसके भी,
आशा के सुन्दर सुमन,
स्नेह सानिध्य की,
नमी से,
सार गर्भित कथ्य बहुत बहुत सुंदर।
सादर आभार आदरणीय कुसुम दीदी सुंदर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
बाँधती है शीतल पवन को,
जवाब देंहटाएंसौगंध अनुबंध के बँधन में,
विश्वास का ग़ुबार,
लू की उलाहना,
जड़ों को करती है और गहरी !!!
बहुत गहन रचना। शब्दावली और भावों का सुघड़ संयोजन अनिता जी।
सादर आभार आदरणीया मीना दीदी सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर स्नेह
नितांत निर्जन निरस
जवाब देंहटाएंसूखे अनमने
विचार शून्य परिवेश में
पनप जाती है वह भी,
जीवन की तपिश
सहते हुए भी,
मुस्कुरा उठती है वह,
महक जाते हैं
देह पर उसके भी,
आशा के सुन्दर सुमन,
स्नेह सानिध्य की,
नमी से,
रहती है वह भी सराबोर.. बहुत ही सुंदर लिखा है अनीता.
जी बहुत बहुत शुक्रिया आप का
हटाएंसादर आभार
कंटीले तन के साथ रक्ताभ पुष्प को सीने पर सजाये नागफनी का भावपूर्ण वर्णन प्रिय अनीता 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
मरु की धूल-धूसरित आँधी में,
जवाब देंहटाएंअनायास ही,
खिलखिला उठती है वह भी,
अपने भीतर समेटे,
अथाह मानवीय मूल्यों-सा,
सघन सैलाब, बेहतरीन रचना सखी 👌
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
विचार शून्य परिवेश में
जवाब देंहटाएंपनप जाती है वह भी,
जीवन की तपिश
सहते हुए भी,
मुस्कुरा उठती है वह,
महक जाते हैं
देह पर उसके भी,
आशा के सुन्दर सुमन,
स्नेह सानिध्य की,
नमी से,
नागफनी जैसे जटिल विषय पर इतनी खूबसूरत रचना!!!!
वाह अनीता जी आपका भी जबाब नहीं
बहुत ही लाजवाब सृजन
सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु. अपना स्नेह बनाये रखे.
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नागफनी में सकारात्मकता को तलाशती उत्कृष्ट रचना जिसका भावपक्ष बहुत प्रभावशाली है।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
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