बीज रोप दे बंजर में कुछ,
यों कोई होश नहीं खोता,
अंशुमाली-सी ज्योति मन की,
क्यों पीड़ा पथ में तू बोता।
मधुर भाव बहता जीवन में,
प्रीत प्रसून फिर नहीं झरता,
विरह वेदना लिखे लेखनी,
यों पाखी प्रेम नहीं मरता।
नभ-नूर बिछुड़ी तारिकाएँ,
व्याकुल होकर पुष्कर रोता,
बीज रोप दे बंजर में कुछ,
यों कोई होश नहीं खोता।
कर्म कसौटी बाँध कमर से,
यों पथिक मक़ाम नहीं तकता,
पात-पात पर सजा समर्पण,
पारिजात क्षिति पर है खिलता।
कोमल भाव महक फूलों-सी,
मानव जीवन में है जोता,
बीज रोप दे बंजर में कुछ,
यों कोई होश नहीं खोता।
©अनीता सैनी
यों कोई होश नहीं खोता,
अंशुमाली-सी ज्योति मन की,
क्यों पीड़ा पथ में तू बोता।
मधुर भाव बहता जीवन में,
प्रीत प्रसून फिर नहीं झरता,
विरह वेदना लिखे लेखनी,
यों पाखी प्रेम नहीं मरता।
नभ-नूर बिछुड़ी तारिकाएँ,
व्याकुल होकर पुष्कर रोता,
बीज रोप दे बंजर में कुछ,
यों कोई होश नहीं खोता।
कर्म कसौटी बाँध कमर से,
यों पथिक मक़ाम नहीं तकता,
पात-पात पर सजा समर्पण,
पारिजात क्षिति पर है खिलता।
कोमल भाव महक फूलों-सी,
मानव जीवन में है जोता,
बीज रोप दे बंजर में कुछ,
यों कोई होश नहीं खोता।
©अनीता सैनी
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 26 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी संध्या दैनिक में मुझे स्थान देने हेतु.
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बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत सुंदर नवगीत 👌👌👌 बहुत बहुत बधाई 💐💐💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार सखी सुन्दर समीक्षा हेतु.
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बहुत सुंदर नबगीत आदरणीया मैम। सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंसादर आभार प्रिय आँचल उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
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कर्म कसौटी बाँध कमर से,
जवाब देंहटाएंयों पथिक मक़ाम नहीं तकता,
पात-पात पर सजा समर्पण,
पारिजात क्षिति पर है खिलता।
वाह!!!
लाजवाब नवगीत....
सादर आभार आदरणीय दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
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बहुत अच्छी नवगीत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27.02.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3624 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
कर्म कसौटी बाँध कमर से,
जवाब देंहटाएंयों पथिक मक़ाम नहीं तकता,
पात-पात पर सजा समर्पण,
पारिजात क्षिति पर है खिलता।
सुंदर भावों से भरा नवगीत प्रिय अनिता | बहुत - बहुत बधाई और शुभकामनायें
सादर आभार आदरणीय दीदी सुन्दर समीक्षा हेतु.
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सुंदर अभिव्यक्ति 👌👌👌 बधाई 🌸🌸🌸
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर प्रणाम