प्रीत अवनी पर है अवदात ।
कज्जल कुँज में झूलता जीवन,
समय सागर की है सौगात।।
लहराती है नभ में पहन दुकूल ,
शीतल बयार संग प्रीत पली ।
उमड़ी धरा पर सुधी मानव की ,
खिला नव-अँकुर धरणी चली ।
छिपे तम में मन के सुंदर भाव
चाहता है एकाकी बरसात ।
गूँथे तारिका नित सुंदर स्वप्न,
प्रीत अवनी पर है अवदात ।
करुणामयी अनुराग हृदय भरा ,
पूनम चाँदनी मधुर पराग झरा ।
अनंत अंबर खोजे चित्त चैन,
झरते तारे का प्रतिबिंब ठहरा ।
समय सागर पर ठिठुरी छाया,
जीवन प्रलय है झँझावत ।
गूँथे तारिका नित सुंदर स्वप्न,
प्रीत अवनी पर है अवदात ।
© अनीता सैनी
शुद्ध हिंदी की बहुत सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-03-2020) को "घोर संक्रमित काल" ( चर्चा अंक -3649) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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आप अपने घर में रहें। शासन के निर्देशों का पालन करें।हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आदरणीय चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
गीत की लय पर सुंदर छायावादी लेखन ।
जवाब देंहटाएंभाव शब्द दोनों बहुत सुंदर।
सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना बहना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी
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