कुछ पल का बने सहारा है,
निर्मल नीर चाँद की छाया,
ऐसा सुख स्वप्न हमारा है।
समय सरित बन के बह जाता,
रहस्यमयी लहरों में कौन,
शून्यकाल की सीमा बैठा,
नीरव पुलिन मर्मान्तक मौन।
गहन निशा में जुगनू आभा,
थाह तम साथी सहारा है,
निर्मल नीर चाँद की छाया,
ऐसा सुख स्वप्न हमारा है।
धुंध की धूमिल आभा में,
बांधे बँधन प्रेम विश्वास ,
सहृदय दीप वर्ति साँसों में,
प्रीत ज्योति की अमर है आस।
तरणि तट मिट्टी के घरौंदे,
सजन बस तेरा सहारा है,
निर्मल नीर चाँद की छाया,
ऐसा सुख स्वप्न हमारा है।
©अनीता सैनी
©अनीता सैनी
बहुत सुंदर रचना, अनिता दी।
जवाब देंहटाएंसादर आभार प्रिय ज्योति बहना
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आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 03 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी संध्या दैनिक में मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (04-03-2020) को "रंगारंग होली उत्सव 2020" (चर्चा अंक-3630) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
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बहुत ही सुंदर 👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार सखी 🌹
हटाएंवाह उत्तम सृजन!
जवाब देंहटाएंप्रिय को समर्पित अहसास और भाव,
सुंदर नव गीत ।
कोमल सरस शब्दावली।
सादर आभार आदरणीय दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब नवगीत अनीता जी
बहुत ही सुन्दर सरस एवं मनभावन...
बहुत बहुत बधाई आपको।
सादर आभार आदरणीय दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
बहुत ही खूबसूरत नवगीत प्रिय सखी अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
धुंध की धूमिल आभा में,
जवाब देंहटाएंबांधे बँधन प्रेम विश्वास ,
सहृदय दीप वर्ति साँसों में,
प्रीत ज्योति की अमर है आस।
भावों से भरा नवगीत प्रिय अनीता | अनुप्रास का प्रयोग बहुत सुंदर है | हार्दिक शुभकामनाएं |
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रेणु दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
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समय सरित बन के बह जाता,
जवाब देंहटाएंरहस्यमयी लहरों में कौन,
शून्यकाल की सीमा बैठा,
नीरव पुलिन मर्मान्तक मौन।
बहुत गहन भावोंं से सजा अनुपम नवगीत अनीता जी ।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मीना दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
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रणि तट मिट्टी के घरौंदे,
जवाब देंहटाएंसजन बस तेरा सहारा है,
निर्मल नीर चाँद की छाया,
ऐसा सुख स्वप्न हमारा है।
..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सादर आभार आदरणीय दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
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बहुत सुन्दर सृजन 👏👏👏👏👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय
हटाएंशून्यकाल की सीमा बैठा,
जवाब देंहटाएंनीरव पुलिन मर्मान्तक मौन।
.........बहुत गहन भावोंं से सजा नवगीत
सादर आभार आदरणीय
हटाएंसादर
समय सरित बन के बह जाता,
जवाब देंहटाएंरहस्यमयी लहरों में कौन....
सुंदर कृति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
सादर आभार आदरणीय सर
हटाएंबेहतरीन रचना सखी 👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया बहना
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