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बुधवार, मार्च 18

नितांत शून्य में खोजूँ... नवगीत



मौन नितांत शून्य में खोजूँ ,
प्रिया प्रीत अनुगामी-सी, 
झरते नयन हृदय में सिहरन, 
मधुर स्पंदन निष्कामी-सी।  

तुहिन कणों से स्वप्न सजाए,
मृदुल कंपन मन का गान,  
शीतल झोंके का उच्छवास, 
ठहर हृदय ताने वितान। 

अंतर निहित प्रीत पथ मेरा,
फिरी देश बंजारण-सी, 
मौन नितांत शून्य में खोजूँ, 
प्रिया प्रीत अनुगामी-सी। 

तिमिर घिरे हैं दीप जलाऊँ, 
विरह आग मन जल जाता, 
श्याम दरश मै  प्रति दिन चाहुं,
नयन अश्रु भर भर आता। 

चरण रहूँ मैं बन कुमोदिनी, 
प्रतिनिश्वास यामिनी-सी, 
मौन नितांत शून्य में खोजूँ,
प्रिया प्रीत अनुगामी-सी। 

©अनीता सैनी

16 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  2. बहुत आला।
    वाकई विरह को आग कुछ ना छोड़ती।
    मौत नितांत शून्य में खोजूं।
    वाह।

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

      हटाएं
  3. तिमिर घिरे हैं दीप जलाऊँ,
    विरह आग मन जल जाता,
    श्याम दरश मै प्रति दिन चाहुं,
    नयन अश्रु भर भर आता।
    वाह!!!!
    बहुत ही लाजवाब नवगीत अनीता जी निशब्द हूँ आपकी सृजनशीलता पर...
    बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सारगर्भित समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनायें रखे.
      सादर

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.3.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3645 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
      सादर

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  5. विरह और प्रेम बहुत खूबसूरत मिश्रण
    आपकी रचनाओं में भावनाओं की जादुगरी होती है
    सादर
    बहुत सुंदर सृजन
    सादर

    पढ़ें- कोरोना

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    उत्तर
    1. सादर नमन आदरणीय सर.
      आपका बहुत-बहुत आभार समीक्षात्मक टिप्पणी के साथ मनोबल बढ़ाने के लिये.
      सादर

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  6. प्रिय दर्शन को ऑंखें सदा बाट जोहती है
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  7. वाह!प्रिय सखी ,बहुत खूबसूरत!

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
      स्नेह आशीर्वाद बनायें रखे.
      सादर स्नेह

      हटाएं
  8. प्रभावशाली भाषाशैली
    विरह और प्रेम बहुत सुंदर मिश्रण
    मन के भावो को बढ़ी सुंदरता से पिरोया है गीतमाला में


    सुंदर रचना के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार सखी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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