नयनों से लख-लख प्रश्न प्रिये,
जीवन तुझपर वार दिया है,
साँसें पूछ रहीं हाल प्रिये।
समय निगोड़ा हार न माने,
पुरवाई उड़ती उलझन में,
पल-पल पूछूँ हाल उसे मैं,
नटखट उलझाता रुनझुन में
कुशल संदेश पात पर लिख दो,
चंचल चित्त अति व्याकुल प्रिये।।
भाव रिक्त कहता मन जोगी,
नितांत शून्य आंसू शृंगार,
भाव की माला गूँथे स्वप्न,
चेतन में बिखरे बारबार,
अवचेतन सँग गूँथ रहीं हूँ,
कैसा जीवन जंजाल प्रिये।।
सीमाहीन क्षितिज-सी साँसें,
तिनका-तिनका सौंप रही हूँ,
आकुल उड़ान चाह मिलन की,
भाव-शृंखला भूल रही हूँ,
सुध बुद्ध भूली प्रिय राधिका,
कैसी समय की ये चाल प्रिये।।
© अनीता सैनी
बहुत सुन्दर और भावप्रवण गीत।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया जी
हटाएंवाह बेहद खूबसूरत रचना सखी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26.3.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3652 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
बेहतरीन सृजन 👌👌 आप हर विषय पर लिखने में सिद्धहस्त हैंं
जवाब देंहटाएंकोमलकांत भावों की लाजवाब अभिव्यक्ति ।
सादर आभार आदरणीय दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
भाव रिक्त कहता मन जोगी,
जवाब देंहटाएंनितांत शून्य आंसू शृंगार,
भाव की माला गूँथे स्वप्न,
चेतन में बिखरे बारबार,
अवचेतन सँग गूँथ रहीं हूँ,
कैसा जीवन जंजाल प्रिये।।
बहुत खूब प्रिय अनिता| लेखन में निरंतर धार और भावों की प्रगाढता से संवरी रचना बहुत प्यारी है |ये प्रवाह यूँ ही चलता रहे |नव संवत्सर और दुर्गा नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं| सस्नेह
सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
हटाएंसादर
भाव रिक्त कहता मन जोगी,
जवाब देंहटाएंनितांत शून्य आंसू शृंगार,
भाव की माला गूँथे स्वप्न,
चेतन में बिखरे बारबार,
अवचेतन सँग गूँथ रहीं हूँ,
कैसा जीवन जंजाल प्रिये।।
आहा ! बहुत सुखद अनुभूति देने वाली रचना
भाषा शैली। .शब्दों का श्रृंगार सब। ..बस आँखों से दिल तक सकूं भरती रचना
सादर आभार बहना सुंदर समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
हटाएंसादर
समय निगोड़ा हार न माने,
जवाब देंहटाएंपुरवाई उड़ती उलझन में,
पल-पल पूछूँ हाल उसे मैं,
नटखट उलझाता रुनझुन में
कुशल संदेश पात पर लिख दो,
चंचल चित्त अति व्याकुल प्रिये।।
इतनी विषम परिस्थितियों में दूर रहते प्रियजनों के लिए मन व्याकुल होना लाजिमी है...
मन के भावों को इतने सुन्दर रूप में नवगीत में सजा लेना कोई आपसे सीखे...
वाह!!!
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
सादर आभार आदरणीया दीदी सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
सादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर
हटाएंअभिनव सुंदर अहसास समेटे सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
सादर
कोमल अहसास दर्शाती मन को छूती अति सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
सादर
सुंदर गीत की यू ट्यूब पर सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई एवं
शुभकामनाएं
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
हार्दिक आभार आदरणीय दी।
हटाएंसादर