Powered By Blogger

मंगलवार, मार्च 31

मानव मन अवसाद न कर


खिल उठेगा आँचल धरा का, 
मानव मन अब अवसाद न कर, 
हुओर प्रेम पुष्प खिलेंगे, 
समय साथ है आशा तू धर। 

 पतझर पात विटप से झड़ते, 
बसँत नवाँकुर खिल आएगा, 
खुशहाली भारत में होगी  
गुलमोहर-सा खिल जाएगा, 
बीतेगा ये पल भी भारी,  
संयम और  संतोष  तू  वर। 

 धरा-नभ का साथ है सुंदर 
 जीवन आधार बताते हैं 
कर्म कारवाँ  साथ चलेगा, 
मिलकर के प्रीत सँजोते हैं,  
पनीली चाहत थामे काल ,  
विवेक मुकुट मस्तिष्क पर धर। 

खिलेंगे किसलय सजा बँधुत्त्व 
मोती नैनों के ढ़ोते हैं, 
 स्नेह मकरंद बन झर जाए,
 अंतरमन को समझाते हैं,  
 विनाश रुप के  काले मेघ,
  धरा से विधाता विपदा हर । 
©अनीता सैनी 

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 31 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर संध्या दैनिक में मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
      सादर

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-04-2020) को    "कोरोना से खुद बचो, और बचाओ देश"  (चर्चाअंक - 3658)    पर भी होगी। 
     -- 
    मित्रों!
    आजकल ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत दस वर्षों से अपने चर्चा धर्म को निभा रहा है।
     आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
      सादर

      हटाएं

  3. खिल उठेगा आँचल धरा का,
    मानव मन अब अवसाद न कर,
    ये दिन भी गुजर जाएगा ,बहुत सुंदर ,आशाओं से भरा सृजन अनीता जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

      हटाएं
  4. पतझर पात विटप से झड़ते,
    बसँत नवाँकुर खिल आएगा,
    खुशहाली भारत में होगी
    गुलमोहर-सा खिल जाएगा,
    बीतेगा ये पल भी भारी,
    संयम और संतोष तू वर।
    वाह !आशाओं से भरा कोमल सरस सृजन |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया रेणु दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

      हटाएं
  5. खिल उठेगा आँचल धरा का,
    मानव मन अब अवसाद न कर,
    चहुओर प्रेम पुष्प खिलेंगे,
    समय साथ है आशा तू धर।

    पतझर पात विटप से झड़ते,
    बसँत नवाँकुर खिल आएगा,
    खुशहाली भारत में होगी
    गुलमोहर-सा खिल जाएगा,
    बीतेगा ये पल भी भारी,
    संयम और संतोष तू वर।

    वाह ! अनीता इस समय जब हर तरफ कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है जीवन जैसे थम सा गया है |
    आशाओं से भरा आपका लेख बहुत सुन्दर |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका
      सादर स्नेह

      हटाएं