ढलती साँझ मुस्कुरायी,
थामे कुँजों की डार,
थका पथिक लौटा द्वारे,
गूँजे दिशा मल्हार।
पाखी प्रणय प्रीत राही,
शीतल पवन के साथ,
मुग्ध लय में झूमा अंबर,
थामे निशा का हाथ,
चंचल लहर चातकी-सी,
दौड़ी भानु के द्वार,
ढलती साँझ मुस्कुरायी,
थामे कुँजों की डार।
पूछ रहे हैं पत्थर-पर्वत,
ऊँघते स्वप्न की रात,
सूनी सरित पर ठिठककर,
सहमी हृदय की बात,
अनमनी भोर में बैठी,
पहने मौन का हार,
ढलती साँझ मुस्कुरायी,
थामे कुँजों की डार।
मूक स्मृति हिय बैठी,
वेदना अमिट छांव,
समय सरिता संग ढूँडूं,
अदृश्य कवित के पांव,
काँपते किसलय खिल उठे,
मिला बसंती दुलार,
ढलती साँझ मुस्कुरायी,
थामे कुँजों की डार।
©अनीता सैनी
अनमनी भोर में बैठी,
जवाब देंहटाएंपहने मौन का हार,
ढलती साँझ मुस्कुरायी,
थामे कुँजों की डार। ....,
अप्रतिम भावाभिव्यक्ति 👌👌👌👌
सादर आभार आदरणीया मीना दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर स्नेह
वाह अति मनमोहक गीत।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति प्रिय अनु।
सादर आभार आदरणीय श्वेता दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर स्नेह
प्राकृति और प्रेम का अध्बुध संयोजन और लाजवाब पंक्तियों की उत्पत्ति ... बहुत कमाल का गीत ... भावनाओं का संगम ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु. आशीर्वाद बनाये रखे.
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-03-2020) को "ऐ कोरोना वाले वायरस" (चर्चा अंक 3644) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
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वाह!प्रिय सखी ,बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
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प्रकृति और प्रेम का बड़ा मनमोहक सृजन प्रिय अनीता जी ,सादर स्नेह
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया कामिनी दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर स्नेह
पूछ रहे हैं पत्थर-पर्वत,
जवाब देंहटाएंऊँघते स्वप्न की रात,
सूनी सरित पर ठिठककर,
सहमी हृदय की बात,
अनमनी भोर में बैठी,
पहने मौन का हार,
ढलती साँझ मुस्कुरायी,
थामे कुँजों की डार।
वाह!!!
प्रकृति पर बहुत ही शानदार नवगीत
भोर साँझ की यह प्रीत बहुत ही लाजवाब।
सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनायें रखे.
सादर