सत्य संदर्भ के साथ जोड़ दिया,
इस दौर के दोहरे-तिहरे प्रहार ने,
अशेष मानवता को निचोड़ लिया।
गौण गरिमा बरकरार उनकी रहे,
उक्ति से समय पर संवार लिया,
सवेदंनाओं की तपन से तपता मन,
मुँह खोलने पर धिक्कार दिया।
हुनरमंदों के बिखरे हुए हैं हुनर,
देख खेतिहर एक पल रो दिया,
सफ़ेदपोशी तय करेगी क़ीमत देख,
अश्रुओं ने पीड़ा को ही धो दिया।
स्वप्नसुंदरी भविष्य की बल्लरी को,
आत्मीयता से सींचो और बढ़ने दो,
खोल दो हृदय से चतुराई की गाँठ,
गाड़ दो बल्ली रस्सी का सहारा दो।
©अनीता सैनी
स्वप्नसुंदरी भविष्य की बल्लरी को,
आत्मीयता से सींचो और बढ़ने दो,
खोल दो हृदय से चतुराई की गाँठ,
गाड़ दो बल्ली रस्सी का सहारा दो।
©अनीता सैनी