मंजरी बिखरी आँगन में
बीत गया मधुमास सखी।
पीत किसलय हुए पल्लवित
हिय उमड़ा विश्वास सखी ।।
सोन जुही सरसों के फूल
गुनगुनाते मोहक गान ।
अमराई में गूँजती है
कोकिला की मीठी तान ।
चहुँ दिशा में खिलखिलाता
व्याप्त सरस उल्लास सखी ।।
विरह अगन-सा कुसुमित लाल
कानन में शोभित पलाश ।
देख विरहण मन भरमाती
पिय मिलन की मधुरिम आस
लज्जा से सेमल लजाया
पहना लाल लिबास सखी ।।
सुरभि से बग़िया लहरायी
मधुप गाते बनकर साज ।
मुग्ध पवन हर्षित है देख
इंद्रलोक धरा पर आज ।
उर आहता चहका पंछी
मन में भरे उजास सखी ।।
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 14 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर संध्या दैनिक में मेरी नवगीत को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (15-04-2020) को "मुस्लिम समाज को सकारात्मक सोच की आवश्यकता" ( चर्चा अंक-3672) पर भी होगी। --
जवाब देंहटाएंसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरे नवगीत को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
विरह अगन-सा कुसुमित लाल
जवाब देंहटाएंकानन में शोभित पलाश ।
देख विरहण मन भरमाती
पिय मिलन की मधुरिम आस
लज्जा से सेमल लजाया
पहना लाल लिबास सखी ।।
वाह ! भावपूर्ण , मधुर गीत !!!!!
सादर आभार आदरणीया रेणु दीदी उत्साहवर्धन समीक्षा हेतु.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाएँ रखे.
सादर
वाह!सखी ,अनीता जी ,बहुत खूबसूरत 👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार प्रिय सखी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
वाह!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही मनमोहक लाजवाब नवगीत।
सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
हटाएंसादर
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर
हटाएंआदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ हेतु नामित की गयी है। )
जवाब देंहटाएं'बुधवार' १५ अप्रैल २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post_15.html
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टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
सादर आभार आदरणीय सर मेरे नवगीत को मंच पर स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
वाह
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर