मिट्टी के मटके-सी,
जीवन चाक पर रखा करती,
समय की अगन से,
सद्भावना-सी निखरा करती,
साँझ ढले तारों से,
ढेरों बातें किया करती,
संयम संजीदगी की,
अर्धांगिनी बन नित संवरा करती।
जेष्ठ महीने की,
मध्य दोपहरी में टूटी टाटियों के,
छप्पर को बँधा करती,
सहती चिलचिलाती तेज धूप,
निर्मम लू के,
थपेड़ों से देह अपनी सेका करती।
पति न परिवार,
न समाज का था संबल,
कुलटा नाम,
पाकर बेवा शहीद की हर्षाई,
एक बार मिली थी
उस सबला मनस्वी से,
अंतस में,
आशीष का सागर भर लायी।
शब्दों का पंडाल,
घटनाओं का लिए बैठी थी रेला,
आँगन के एक कोने में,
मुद्दतों से लाचारी ढो रहा था ठेला,
पेट में छिपी भूख के,
अनकहे अनगिनत नागफ़नी-सी,
ज़िंदगी के थे कई अनुत्तरित प्रश्न !
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
सुन्दर शब्द चयन।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना।
सादर आभार आदरणीय सर सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
पति न परिवार,
जवाब देंहटाएंन समाज का था संबल,
कुलटा नाम,
पाकर बेवा शहीद की हर्षाई,
उफ्फ!!!
दिल चीरकर निकलती मार्मिक भावाभिव्यक्ति...
क्यों नहीं समझ पाते हैं समाज के लोग उस बेवा के टूटी आशाओं को क्यों परिवार भी कुलटा कह उसके नासूर में नश्वर चुभोता है सचमुच ये सवाल एक संवेदनशील कवि मन में ही उठते हैं ...बाकी तो संवेदना को ताक पर लगा ऐसी जिंदगियों से उनकी बची-खुची साँसे खीचने पर तुले होते हैं।
बहुत ही भावपूर्ण हृदयस्पर्शी सृजन।
सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु तहे दिल से आभार आदरणीया दीदी. स्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना सखी 👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुक्रिया प्रिय सखी सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर आभार
एक अबला का दर्द अभिव्यक्त करने में सक्षम है आपकी रचना..
जवाब देंहटाएंसाथ ही कुछ अनुत्तरित प्रश्न हैं जिनके उत्तर जिस दिन मिल जाएंंगे ..समाज में स्त्री के अस्तित्व उपेक्षा भी बंद हो जाएगी ।
हृदयस्पर्शी सृजन ।
सादर आभार आदरणीया मीना दीदी. रचना की इतनी मनमोहक समीक्षा पढ़कर बहुत ख़ुशी हुई. आपका प्रोत्साहन सदैव मेरे साथ है.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति सखी !
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
रचना में दबी हुई चीख़ मार्मिकता के साथ महसूस होती है। एक संघर्षशील विधवा स्त्री का शब्दचित्र उकेरती रचना सोई हुई संवेदना को जगाती है और कविता की अंतरकथा के पात्र के साथ पाठक की सहानुभूति जुड़ जाती है। उत्कृष्ट सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंमनोबल बढ़ाने हेतु तहे दिल से आभार.
सादर
वाह अनुपम
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
ऐसे कई प्रश्नों के उत्तर समाज नहीं देता ... बहुत निर्दयी होता है ...
जवाब देंहटाएंये जवाब खुद ही ढूँढने होते हैं ... लड़ना होता है अपने लिए ...
सादर आभार आदरणीया सर सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंआशीर्वाद बनाये रखे.