दृश्य निर्मम यथार्थ का।
झुलसे पत्थर उजड़ी सड़क
दृश्य प्रज्वलित दोपहरी का।
देह मानव की भाप बनी
निशान नहीं पदचाप का।
खोजी श्वान का स्वाँग गढ़ा
भ्रमित परपीड़ा संताप की।
काल निर्वहन दिवाकर का
सृष्टि में व्याप्त व्यवधान का।
दिशाहीन बिखरे जन-जीवन
दृश्य शोकाकुल शोक दोपहरी का।
खींप-आक सब सूख रहे
दौर दयनीय दुनिया का।
लंबी-चौड़ी विचारपट्टिका
उकेरे चित्र कलिकाल का।
सूर्य निकला क्षितिज पर नहीं
सत्ता-शक्ति के बाज़ार का।
उड़नखटोला उतरा भारत में
नहीं समय शोहरत के बखान का।
©अनीता सैनी
©अनीता सैनी
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (15-05-2020) को
"ढाई आखर में छिपा, दुनियाभर का सार" (चर्चा अंक-3702) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
…...
"मीना भारद्वाज"
सादर आभार आदरणीया दीदी मंच पर मेरे सृजन को स्थान देने हेतु.
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बहुत सुंदर रचना, अनिता दी।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
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सार्थक और सशक्त गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर
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बहुत सुंदर रचना अनिता जी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
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खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
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सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
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बेहद खूबसूरत रचना 👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार बहना सुंदर समीक्षा हेतु.
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बहुत खूब ,सुंदर सृजन अनीता जी
जवाब देंहटाएंसादर आभार कामिनी दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
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बेहद खूबसूरत रचना अनीता जी
जवाब देंहटाएंसादर आभार भास्कर भाई उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
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शानदार अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
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सुंदर व्यंजना वर्तमान माहौल की जिसमें समाज,प्रकृति और व्यवस्था की दशा के साथ व्यंग्यात्मक लहज़े में हमें संवेदनशील होने का सबक़ भी है।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
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वाह!सखी अनीता जी ,सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया शुभा दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी पाँच लिंकों पर मेरे सृजन को स्थान देने हेतु.
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सुंदर अभिव्यंजना ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
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सुंदर और सार्थक रचना सखी! बेहद खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंसादर आभार सुजाता बहन सुंदर समीक्षा हेतु.
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सुन्दर प्रस्तुति सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय रितु दी मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
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बेहद सराहनीय अभिव्यक्ति अनु।
जवाब देंहटाएंसमसामयिक परिस्थितियों पर तुम्हारा चिंतन हृदयग्राही है।
सादर आभार आदरणीया श्वेता दीदी उत्साहवर्धन करती मोहक प्रतिक्रिया के लिए. आपकी टिप्पणी रचना का मान बढ़ाती है.स्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
हटाएंदेह मानव की भाप बनी
जवाब देंहटाएंनिशान नहीं पदचाप का।
खोजी श्वान का स्वाँग गढ़ा
भ्रमित परपीड़ा संताप की।
बहुत ही सुन्दर सार्थक समसामयिक सृजन।
सचमुच ये परिस्थितियाँ कलिकाल का चित्र उकेरती हैं ...बहुत ही हृदयस्पर्शी।
सादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सारगर्भित समीक्षा हेतु.
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