शनिवार, मई 16

नवीन किसलय मुरझाए बंधु



कंधों पर सुकून का अँगोछा 
मग्न आज किस लय में बंधु।  
तरुवर पथ की  सूखी शाख़ 
नवीन किसलय मुरझाए बंधु। 

असहाय की छलकती पीड़ा 
 पेट की भूख आँखों से टपकी। 
संवेदनहीन पूंजीभूत पराग  
अनल-सी जलती देह सारथी। 
समझ पड़ाव सब भाप बने 
कहाँ निशा पुण्य प्रभात बंधु। 

शोभा श्री समन्वय जनगण से 
करुणा की बरसा बौछार। 
मजबूर मज़दूर पुर को दौड़े 
माली थमा पुष्प का एक हार। 
मणि-मनके खनि की शोहरत 
भावुक मन जगा अनुराग बंधु। 

अचरज से छलक उठी निगाहें 
परिमलमय पारिजात पर। 
इंगित अंतस के अश्रुकर 
तरु-शाख़ा पर किसलय सूखे। 
हृदय की पीड़ा फूटी सड़क पर 
बदल न लिबास बारंबार बंधु। 

©अनीता सैनी 

20 टिप्‍पणियां:

  1. असहाय की छलकती पीड़ा
    पेट की भूख आँखों से टपकी। बेहद हृदयस्पर्शी रचना

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  2. बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  3. बहुत ही सुंदर सृजन अनीता जी

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  4. सही हालात को दिखाती सुन्दर रचना।

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    1. सादर आभार आदरणीय सर सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  5. विनीत भाव से विसंगतियों का शब्दचित्र उकेरना साहित्य की शिल्पगत विशिष्टता है।

    उत्कृष्ट सृजन आत्मा को स्पर्श करते हुए संवेदना के ख़ज़ाने में समृद्धि लाता है।

    वक़्त का सच दर्ज करना साहित्य का दायित्व है ताकि सच जैसे मूल्य पर झूठ-फ़रेब की परत न जम सके।

    सौम्य शब्दावली में अर्थपूर्ण गहन व्यंजना अभिव्यक्ति को सारगर्भित बना देती है भले ही ऐसी रचनाएँ लोकप्रियता के पैमाने पर खरी न उतरें किंतु अपना महत्त्व स्थापित कर देती हैं।

    सुंदर रचना जो प्रभावशाली भाव संप्रेषण करती हुई सार्थक संदेश देती है।

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    1. सादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
      सादर

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  6. शोभा श्री समन्वय जनगण से
    करुणा की बरसा बौछार।
    मजबूर मज़दूर पुर को दौड़े
    माली थमा पुष्प का एक हार।
    समसामयिक यथार्थ को दर्शाती बहुत ही हृदयस्पर्शी लाजवाब सृजन..।

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
      सादर

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  7. शोभा श्री समन्वय जनगण से
    करुणा की बरसा बौछार।
    मजबूर मज़दूर पुर को दौड़े
    माली थमा पुष्प का एक हार।
    मणि-मनके खनि की शोहरत
    भावुक मन जगा अनुराग बंधु।
    बहुत ही क्रमबद्ध तरीके से शब्दों एवं भावों का समन्वय आपकी इस रचना में है । सादर प्रणाम ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
      सादर

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  8. मैंने आपकी रचना पढ़ी अनीता जी बहुत ही उम्दा रचना है आपकी।
    https://shaayridilse.blogspot.com/2019/12/Good-mornnig-sms.html

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर
      सादर

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  9. मजदूरों की पीड़ा को सहज शांदों में लिखा है ...
    एक व्यथा जो पिछले कई महीनों से झेल रहा अहि मजदूर उसको शायद कोई देख और जानने का कोई प्रयास नही कर रहा ...

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    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  10. हृदय की पीड़ा फूटी सड़क पर
    बदल न लिबास बारंबार बंधु।

    पीड़ा की मार्मिक अभिव्यक्ति। सादर

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    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती समीक्षा हेतु.
      सादर

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