सुदूर दिश में दौड़ता अबोध छौना
बादल-सी भरता भोली कुलाँच।
तपती धूप ने किया है कोई फ़रेब या
उमसाए सन्नाटे ने लगाई है आँच।
मरुस्थल पर हवा ने बिखेरे हैं धोरे
काल की रेत पर मूर्छित हैं पदचाप।
गर्दन घुमा देखता बकरियों का समूह
गूँजता गड़रिये का व्याकुल आलाप।
आँधी से उड़ती धूल देख अचकचाए गर्दन घुमा देखता बकरियों का समूह
गूँजता गड़रिये का व्याकुल आलाप।
पीड़ा पी रहे बालू के महीन कण-कण।
बेबस पर यों हुक्म सब्र का बाँध न बना
वेदना के सैलाब में डूबा हुआ है जनगण।
बेबस पर यों हुक्म सब्र का बाँध न बना
वेदना के सैलाब में डूबा हुआ है जनगण।
संदेह के आत्मघाती तीर तरकश में छोड़
मृगमरीचका-सा भ्रम जाल न बना।
मृगमरीचका-सा भ्रम जाल न बना।
संयम संतोष सहेज राह में पल के पथिक
तरसती आँखों को यों बदरी न बना।
© अनीता सैनी
तरसती आँखों को यों बदरी न बना।
© अनीता सैनी
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (22-05-2020) को
"धीरे-धीरे हो रहा, जन-जीवन सामान्य।" (चर्चा अंक-3709) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
…...
"मीना भारद्वाज"
सादर आभार आदरणीय मीना दीदी चर्चामंच पर मेरे सृजन को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
मरुस्थल पर हवा ने बिखेरे हैं धोरे
जवाब देंहटाएंकाल की रेत पर मूर्छित हैं पदचाप।
गर्दन घुमा देखता बकरियों का समूह
गूँजता गड़रिये का व्याकुल आलाप।हृदयस्पर्शी सृजन सखी 👌
सादर आभार आदरणीय अनुराधा दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
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संदेह के आत्मघाती तीर तरकश में छोड़
जवाब देंहटाएंमृगमरीचका-सा भ्रम जाल न बना।
बहुत ही संदर रचना है दीदी जी आपकी । सादर प्रणाम
सादर आभार अनुज मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
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मुक्त छन्दों में बँधी सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय मार्गदर्शन करने हेतु.
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वाह!प्रिय सखी ,बहुत खूबसूरत रचना ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी आशीर्वाद बनाए रखे.
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वाह ... प्रतीक के माध्यम से अपनी बात बाखूबी कही है आपने ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु. आशीर्वाद बनाए रखे.
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वाह
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु. आशीर्वाद बनाए रखे.
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आदरणीया अनीता जी, उत्कृष्ट सृजन ! ये पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं :
जवाब देंहटाएंबेबस पर यों हुक्म सब्र का बाँध न बना
वेदना के सैलाब में डूबा हुआ है जनगण।--ब्रजेंद्र नाथ
सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु. आशीर्वाद बनाए रखे.
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पूरी रचना ही बहुत सुंदर है ,अति उत्तम बहना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 25 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी पाँच लिंकों पर मेरे सृजन को स्थान देने हेतु.
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सुदूर दिश में दौड़ता अबोध छौना
जवाब देंहटाएंबादल-सी भरता भोली कुलाँच।
तपती धूप ने किया है कोई फ़रेब या
उमसाए सन्नाटे ने लगाई है आँच।
वाह सुंदर बिंबो से सजी सुंदर व्यंजना..उत्तम सृजन बहना
सादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
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सुदूर दिश में दौड़ता अबोध छौना
जवाब देंहटाएंबादल-सी भरता भोली कुलाँच।
तपती धूप ने किया है कोई फ़रेब या
उमसाए सन्नाटे ने लगाई है आँच।
बहुत खूब प्रिय अनीता। मार्मिक रचना ---- के लिए शुभकामनायें🌹🌹🌹🌹
सादर आभार आदरणीया रेणु दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
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बहुत खूब.. ,भावपूर्ण सृजन अनीता जी ,
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
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