आज सुबह अधमरे अख़बार के पलटती पन्ने,
उठते तूफ़ान की नहीं कोई ख़बर।
शहर की ख़ामोशी में चारों ओर शांति ही शांति
नहीं कोहराम का कोई कोंधता आलाप।
एक माँ चीख़ी...
बच्चे की थी करुण पुकार
जग ने कहा -
माँ-बेटे की पीड़ा का विलाप! नहीं नियति पर ज़ोर।
पूछ-पूछ पता घरों का, देगा दस्तक यह तूफ़ान
बाक़ी मग्न झूमो जीवन में सुख का थामे छोर।
दीन-दुनिया से बेख़बर व्यस्तता की
महीन चादर ओढ़े दौड़ रहे सब ओर।
सूरज बरसाता चिलचिलाती धूप पृथ्वी पर
हवा भी मंद-मंद झूम रही एक ओर।
बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न कहो
उमसाए सन्नाटे ने बाँधी ज़ुबाँ की डोर।
अंतस में उमड़े सैलाब को न कहो तूफ़ान
पत्ते गिरे होंगे पेड़ों से! भ्रम ने थामी होगी डोर।
©अनीता सैनी'दीप्ति'
जब भी कोई आफत आती है तो वह गरीब का घर ही पूछती है, उनके लिए कोई शोर मचाने वाला नहीं होता
जवाब देंहटाएंबहुत सही सामयिक चिंतन प्रस्तुति
सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
हटाएंसादर
मार्मिक और सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर आशीर्वाद बनाए रखे.
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 24 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर सांध्य दैनिक पर मेरे सृजन को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर आशीर्वाद बनाए रखे.
हटाएंसादर
बहुत सुंदर समसामयिक प्रस्तुति बहना👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (25 मई 2020) को 'पेड़ों पर पकती हैं बेल' (चर्चा अंक 3712) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु.
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Manmohak
जवाब देंहटाएंKheti Kare
सादर आभार आदरणीय सर आशीर्वाद बनाए रखे.
हटाएंसादर
हर बार की तरह समसामयिक विषयों पर कलम का प्रहार
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया
हटाएंहेतु.
सादर
हृदस्पर्शी ,मार्मिक रचना,दिल दहला देती ऐसी खबरें ,असहाय की चीखें दबकर रह जाती है ,बहुत बढ़िया बहना ,अच्छा लिखती हो
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
हटाएंसादर
बिल्कुल ,दीदी कहती हो ,छोटी बहन पर बड़ी बहन का स्नेह आशीर्वाद सदैव बना रहेगा ,खुश रहो
हटाएंसस्नेह आभार आदरणीय दीदी.
हटाएंसादर स्नेह
हृदयस्पर्शी सृजन अनीता जी ,हर बिपदा तो गरीबों को ही सबसे ज्यादा रुलाती है
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
Pls go through Local Update
जवाब देंहटाएंand forward suggestions.
Farming of Tulsi
जवाब देंहटाएंPm kisan Fruits
जवाब देंहटाएंअरबी की खेती
जवाब देंहटाएंस्ट्राबेरी की खेती
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