अनुसरण से आचरण में ढली
इंसान में एकनिष्ठ सदभाव हूँ।
दग्धचित्त पर शीतल बौछार
सरिता-सा प्रवाह इंसानीयत हूँ।
निराधार नहीं अस्तित्त्व में लीन
पुण्यात्मा से बँधी करुणा हूँ।
मधुर शब्द नहीं कर्म में समाहित
नैनों से झलकता स्नेह अपार हूँ।
शून्य सहचर अमरता वरदान
मूक-बधिर भाव में झँकृत हूँ।
साध सुगंध सुंदर जीवन मैं
चेतना मानव की लिप्त आश्रय हूँ।
सृष्टि में विद्यमान समंजित मर्मज्ञ
जन-जीव के हृदय में निराकार हूँ।
अंतःस्थ में विराजित एकाकी मौन
जीवन पल्लवित सुख का आधार हूँ।
© अनीता सैनी 'दीप्ति'
© अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत सुन्दर शब्द चयन।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना।
सादर आभार आदरणीय मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-05-2020) को
"घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं" (चर्चा अंक-3716) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
…
"मीना भारद्वाज"
सादर आभार आदरणीय मीना दीदी चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
अनुसरण से आचरण में ढली
जवाब देंहटाएंइंसान में एकनिष्ठ सदभाव हूँ।
दग्धचित्त पर शीतल बौछार
सरिता-सा प्रवाह इंसानीयत हूँ।
निराधार नहीं अस्तित्त्व में लीन
पुण्यात्मा से बँधी करुणा हूँ।
मधुर शब्द नहीं कर्म में समाहित
नैनों से झलकता स्नेह अपार हूँ।
हमेशा की तरह बेहतरीन ,सुंदर बहुत सुंदर शब्दों का चयन ,बधाई हो प्यारी बहना ,शुभ प्रभात
सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धन करती सुंदर समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
हटाएंसादर
अति सुंदर रचना ...💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सर 🙏
हटाएंकमाल है अनीता जी, आपके ब्लॉग का नाम गूंगी गुड़िया है और आप स्व्यं गागर में सागर भर देती हैं ... क्या खूब लिखा है ...निराधार नहीं अस्तित्त्व में लीन
जवाब देंहटाएंपुण्यात्मा से बँधी करुणा हूँ।
मधुर शब्द नहीं कर्म में समाहित
नैनों से झलकता स्नेह अपार हूँ। ...वाह
आदरणीया दीदी आपका स्नेह सानिध्य हमेशा यों ही बना रहे.तहे दिल से आभार सुंदर सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे.
सादर
वाह!!बहुत खूब सखी अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
वाह क्या खूब
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
बहोत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
गहनार्थी शब्दों से सजा सुंदर काव्य।
जवाब देंहटाएंबहुत सही इंसानियत शब्द से आचरण तक ढल जाए तो सब सहज सुंदर और सुलभ हो जन जीवन में ।
अभिनव सृजन।
सादर आभार आदरणीय कुसुम दीदी सुंदर सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु. आपके सराहना से लेखन सार्थक हुआ.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
सादर
निराधार नहीं अस्तित्त्व में लीन
जवाब देंहटाएंपुण्यात्मा से बँधी करुणा हूँ।
मधुर शब्द नहीं कर्म में समाहित
नैनों से झलकता स्नेह अपार हूँ।
वाह!!!!
सृष्टि में विधमान समंजित मर्मज्ञ
जन-जीव के हृदय में निराकार हूँ।
अंतःस्थ में विराजित एकाकी मौन
जीवन पल्लवित सुख का आधार हूँ।
निशब्द करती रचना....बहुत ही लाजवाब...
अद्भुत शब्दसंयोजन...।
सादर आभार आदरणीय सुधा दीदी आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मेरा मार्गदर्शन करती. स्नेह आशीर्वाद यों ही बनाए रखे.
हटाएंमनोबल बढ़ाने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया दी.
सादर
इंसानीयत धारण करने योग्य एक अनमोल गुण है, सामाजिक मूल्य है जिसकी बदौलत दुनिया में सद्भाव और सौहार्द्र क़ाएम है। अर्थ प्रधान सामाजिक व्यवस्था में इंसानीयत की परिधि को हम सिकुड़ता हुआ पा रहे हैं तब सृजन के ज़रिये उसे बचाए रखने और विकसित करने के उपक्रम जारी रहने चाहिए।
जवाब देंहटाएंसुंदर एवं सारगर्भित विचार हैं आपके आदरणीय सर. विकास के सोपान भी चढ़ेगी मानवता महत्वाकांक्षा से हृदय पत्थर हुआ है.उसमे फिर मानवता निवास करेगी. सराहना से परे हैं आपके विचार.मनोबल बढ़ाने हेतु सादर आभार.
हटाएंवाह.... वाह सुन्दर भावों से सजी अप्रतिम रचना अनिता जी👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
हटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर रचना सखी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
वाह......अप्रतिम रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर रचना दी
जवाब देंहटाएंसादर आभार अनुज मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
जवाब देंहटाएंसादर