आज भी ख़ामोश निगाहों से,
अहर्निश तुम्हारी राह ताकता रहता है।
जलती जेठ की दोपहरी में भी,
लाल,नारंगी,पीली बरसता सतरंगी धूप,
लाल,नारंगी,पीली बरसता सतरंगी धूप,
वह मंद-मंद मुस्कुराता रहता है।
झरती सांसें जीवन की उसकी,
सुकून की छतनारी छाया बनती ,
वह छाया तुम्हें पुकारती बहुत है।
सहसा तुम्हारे आने की दस्तक से,
उसने बदल लिया है लिबास अपना,
अलमस्त झूलती-झूमती डालियों पर,
पंछियों के फैले डैनों को सहलाता,
हवा के हल्के झोंके से बिखेर रंग,
धूप के रंगीन छींटे से मन मोह लेता है,
जलती सड़क नभ की बेचैनी को देता,
ख़ुबसूरत कागज़ के फूलों-सा उपहार,
इंतज़ार में वह तुम्हें याद करता बहुत है।
पंछियों के फैले डैनों को सहलाता,
हवा के हल्के झोंके से बिखेर रंग,
धूप के रंगीन छींटे से मन मोह लेता है,
जलती सड़क नभ की बेचैनी को देता,
ख़ुबसूरत कागज़ के फूलों-सा उपहार,
इंतज़ार में वह तुम्हें याद करता बहुत है।
दरमियाँ हैं दूरियाँ उसके तुम्हारे बीच,
एहसास दिल से भुलाते क्यों नहीं,
सन्नाटे से पूछो ख़ैरियरत उसकी,
शब्दों को शब्दों पर लुटाते क्यों नहीं,
दिल में गहरी है बेचैनी तुम्हारे,
दर्द समय का भुलाते क्यों नहीं,
खिड़कियों से झाँकता हुआ वह,
पगडंडियों पर जीवन न्योछावरकर,
वह बेज़ुबान अश्रु बहाता बहुत है।
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंसभी अन्तरों में समान ही पंक्तियाँ रखनी चाहिए।
सादर आभार आदरणीय सर मार्गदर्शन हेतु मैंने कुछ सुधार के साथ फिर से बंद लिखे है.
हटाएंसादर प्रणाम
बेहद खूबसूरत रचना सखी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धन करती समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
गुलमोहर का सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मार्गदर्शन हेतु.
हटाएंसादर प्रणाम
गुलमोहर को बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से सुंदर व्यंजना के साथ प्रस्तुत करती अभिव्यक्ति। गुलमोहर की छाया और ग्रीष्म ऋतु में लाल रंग के फूलों के साथ खिलना निस्संदेह सकारात्मकता को सहेजना है।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंआशीर्वाद बनाये रखे.
सुन्दर बिम्बों सजी बेहतरीन कृति । गुलमोहर की खूबियों के साथ अन्तर्मन की गहन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
बेहतरीन अभिव्यक्ति अनीता जी
जवाब देंहटाएं,
सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
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वाह अनीता, गुलमोहर के भने बहुत सुंदर रचना। आखिर प्रकृति भी राह देखती है अपने पथिक की। हार्दिक शुभकामनायें🌹🌹
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनये रखे.
सहसा तुम्हारे आने की दस्तक से,
जवाब देंहटाएंउसने बदल लिया है लिबास अपना,
अलमस्त झूलती-झूमती डालियों पर,
पंछियों के फैले डैनों को सहलाता,
हवा के हल्के झोंके से बिखेर रंग,
धूप के रंगीन छींटे से मन मोह लेता है
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर गुलमोहर सी मनोहर लाजवाब कृति।
सादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
दर्द समेटे विरह श्रृंगार का सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंअहसासो और संवेदनाओं का गहरा मिश्रण।
सुंदर शब्द चित्र।
अप्रतिम।
सादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
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बेहद खूब
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु.
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