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शनिवार, जून 13

स्वतंत्र चित्त से


उल्लास से कहता उजाले की दहलीज़ पर।  
स्वतंत्र चित्त से जीवन की उस ढलान पर।  
झोली फैलाए याचक याचना की उम्मीद पर। 
आँखों की झपकी भर अस्मिता उधार माँगता। 

 न ही अंधकार का पहरा था न ही दीन था। 
 अनदेखे रुप में काँटों से  करता मिन्नतें।   
 सौ गुना सूद के साथ लौटाने की बात पर। 
 पैरों में कंकड़ की चुभन उधार माँगता। 

  अकुलाहट के भँवर में तड़पता अहर्निश। 
 भीख में फैलाता झोली हर एक द्वार पर।  
 शब्दों से नहीं आँखों से बरसाता इच्छा। 
साथ साया हो उसका यही उधार माँगता। 

  अपनेपन की सिहरन रिश्तों की बेड़ियाँ। 
  लड़खड़ाते शब्दों से सांसों के द्वार खोलता।
मौन याचक न जाने वह कौन था। 
  पेड़ की छाल से कठोरता उधार माँगता। 

©अनीता सैनी 'दीप्ति'

12 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु .
      सादर

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 15 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय दीदी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु .सादर

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  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (08-06-2020) को 'कुछ किताबों के सफेद पन्नों पर' (चर्चा अंक-3733) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय चर्चामंच पर स्थान देने हेतु .
      सादर

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु .
      सादर

      हटाएं
  5. वाह!सखी ,सुंदर सृजन ।

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु .सादर

      हटाएं

  6. अकुलाहट के भँवर में तड़पता अहर्निश।
    भीख में फैलाता झोली हर एक द्वार पर।
    शब्दों से नहीं आँखों से बरसाता इच्छा।
    साथ साया हो उसका यही उधार माँगता।

    अपनेपन की सिहरन रिश्तों की बेड़ियाँ।
    लड़खड़ाते शब्दों से सांसों के द्वार खोलता।
    मौन याचक न जाने वह कौन था।
    पेड़ की छाल से कठोरता उधार माँगता।

    ©अनीता सैनी 'दीप्ति
    'बेहतरीन रचना हर बार की तरह ,

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  7. सादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु .स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे .
    सादर

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