सत्ता की भूख से
भरी थी वह मिट्टी
तब खिले थे
परोपकार के सुंदर सुमन।
सेकत गढ़ती उन्हें
हरसिंगार स्वरुप में।
विलक्षण प्रभाव देख
दहलती थी दुनिया।
क्षणभंगुर नहीं थे वे
अनंत काल तक
हृदय पर शीतल पवन-सा
विचरते विचार थे।
भाव-गांभीर्य का उन्माद
सभाचातुर्य की लहर
स्वयं में विशिष्ट
और अविस्मरणीय थे वे।
जीवन उनका
पेड़ की लुगदी होना नहीं था।
सत वृक्ष के पुंकेशर से गढ़े
सत्य के पुष्प थे वे।
सत्य के पुष्प थे वे।
राजनीति के दोहरे धरातल पर खिली
दुर्लभ मंजरी थी उसने कहा था मुझे।
विचारों की गंध से
ये विहग उसके इर्द-गिर्द विचरते।
सुरक्षा का संभालते थे दायित्त्व।
उसके तेज को
धारण करते थे आँखों में।
आज एकाएक
करुण स्वर में वे पुकारते दिखे।
बर्फ़ की शिला में सुरक्षित जीवित थे
आज भी वे जीवनमूल्य।
कलाम जी अटल जी के जैसी देह गढ़ते
सत्ता की मिट्टी पर खिलते हैं
मानवता की मोहक महक लिए।
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
गहन चिन्तन के साथ लिखी सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबर्फ़ की शिला में सुरक्षित जीवित थे
जवाब देंहटाएंआज भी वे जीवनमूल्य।
कलाम जी अटल जी के जैसी देह गढ़ते
सत्ता की मिट्टी पर खिलते हैं
मानवता की मोहक महक लिए।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनिता दी।
भाव-गांभीर्य का उन्माद
जवाब देंहटाएंसभाचातुर्य की लहर
स्वयं में विशिष्ट
और अविस्मरणीय थे वे।
राजनीति के दोहरे धरातल पर खिली
दुर्लभ मंजरी थी उसने कहा था मुझे।
विचारों की गंध से
गहरे भाव, सूंदर शब्दप्रयोग , सोच को अपने साथ ले जाने वाली रहना
बहुत बहुत शुभकामनाएं अच्छी रचना के लिए
सादर नमन
जो नैतिक मूल्यों , सच्चाई और कर्मनिष्ठा का संकल्प लेकर आते हैं वे कभी क्षणभंगुर नहीं होते . सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजो नैतिक मूल्यों , सच्चाई और कर्मनिष्ठा का संकल्प लेकर आते हैं वे कभी क्षणभंगुर नहीं होते . सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजो नैतिक मूल्यों , सच्चाई और कर्मनिष्ठा का संकल्प लेकर आते हैं वे कभी क्षणभंगुर नहीं होते . सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंराजनीति के दोहरे धरातल पर खिली
जवाब देंहटाएंदुर्लभ मंजरी थी उसने कहा था मुझे।
विचारों की गंध से
ये विहग उसके इर्द-गिर्द विचरते।
सुरक्षा का संभालते थे दायित्त्व।
खूब लिखा है आपने ......
राजनीति के दोहरे धरातल पर।
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विचारों की गंध से
जवाब देंहटाएंये विहग उसके इर्द-गिर्द विचरते।
सुरक्षा का संभालते थे दायित्त्व।
उसके तेज को
धारण करते थे आँखों में।
आज एकाएक
करुण स्वर में वे पुकारते दिखे।
बर्फ़ की शिला में सुरक्षित जीवित थे
ऐसी जीवट परिस्थितियों पर गहन चिन्तनपरक शानदार सृजन।
बहुत सुंदर सृजन, गहन और गंभीर भाव लिए चिंतन परक सृजन।
जवाब देंहटाएंनैतिकता से जीने वालों के निशाँ रहते हैं और कई उनपर चल कर अपना त्याग करते हैं ...
जवाब देंहटाएंशायद तभी ये तपोवन सुरक्षित है ...
गहरे चिंतन से उपजी रचना ...
बहुत ही सुंदर रचना हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक सृजन सखी
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