आसमानी पंडाल से सजा था
अनुकरण का वह भव्य रंगमंच।
अभिनय की सार्थकता दर्शाने में
व्यस्त था जीवन।
कभी ताकता स्वयं को
कभी जाँचता अभिनय को।
धमनियों में उफनता जुनून
किरदार करना था जीवंत।
हर कोई हर किसी के निभाए
अभिनीत किरदार को नकारता।
समर्थकों के समर्थन से था
आकलन जीवंत अभिनय का।
टूटने-बिखरने का हक नहीं था
उनमें से किसी किरदार को।
टूटने-बिखरने वाले की सांसें
छीन लीं जातीं या लील जाता अभिनय।
कलाकार कलाकारी में मुग्ध रहते
और देह पत्थर रुप में ढलती गई।
सूखती संवेदना पथराई आँखें
वह जीवन नहीं अभिनय था।
मैं भी अभिनय के उस दौर में
धूप से तपा पाषाण बनती गई।
संताप न वेदना न साथ अश्रुओं का
ज़ेहन में एक विचार अभिनय था।
© अनीता सैनी 'दीप्ति'
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (05-06-2020) को
"मधुर पर्यावरण जिसने, बनाया और निखारा है," (चर्चा अंक-3723) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।
…
"मीना भारद्वाज"
सादर आभार आदरणीय मीना दीदी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु.
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बहुत सुन्दर और सार्थक गीत।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
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बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
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बेहतरीन भावाभिव्यक्ति । गंभीर और गहन चिन्तन..आसमान के पंडाल के नीचे धरती पर सजा रंगमंच और हम सब अनुकरणात्मक
जवाब देंहटाएंजीवन की संवेदनाओं को जीती कठपुतलियां ।
तहे दिल से आभार आदरणीय मीना दीदी सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
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लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु.
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"टूटने-बिखरने का हक नहीं था
जवाब देंहटाएंउनमें से किसी किरदार को।
टूटने-बिखरने वाले की सांसें
छीन लीं जातीं या लील जाता अभिनय।"
सही कहा, दुनिया एक रंगमंच ही तो है जहाँ सभी अपना-अपना किरदार निभा रहे हैं। वक़्त की कसौटी पर खरा उतरना, अपने किरदार के साथ न्याय करना, स्वयं को सिद्ध करना नियति के रंगमंच पर अवसर मिलता है अपनी कला के माक़ूल प्रदर्शन का। अभिनय की सफलता तभी है जब किरदार दर्शक / श्रोता के ज़ेहन में उत्तर जाय और वैचारिक खलबली पैदा करे। संसार केवल सफल किरदारों को याद रखता है जैसा कि रचना में संकेत किया गया है। दरअसल सफल लोगों की संख्या सीमित होती है जिसे स्मृति-भंडार में आसानी से स्थान हासिल हो जाता है।
जीवन के गंभीर प्रश्न उठाती उत्कृष्ट संवेदनशील रचना।
सादर आभार आदरणीय सर ब्लॉग पर हमेशा ही आपकी प्रतिक्रिया मनोबल बढ़ाने वाली होती है सृजन को निखरती मर्म स्पष्ट करती सारगर्भित होती है आशीर्वाद हेतु आपका एक बार बहुत बहुत शुक्रिया. आशीर्वाद बनाए रखे.
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बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
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अभिनय उतना कठिन नहीं जीवन में, जितना उसे जीना। लेकिन यह बड़ी बिडंबना है कि इंसान आज अभिनय की दुनिया में जीकर वास्तविक जीवन सत्य से दूर भागता जा रहा है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
सृजन को निखरती सुंदर समीक्षा हेतु तहे दिल से आभार आदरणीय कविता दीदी.
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बहुत सुंदर काव्य प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
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बहुत खूब, अनिता जी 👍👍
जवाब देंहटाएंकलाकार कलाकारी में मुग्ध रहते
और देह पत्थर रुप में ढलती गई।
सूखती संवेदना पथराई आँखें
वह जीवन नहीं अभिनय था।
हम सब अभिनेता ही तो है, और मात्र अभिनय करना ही हमारी अभिव्यक्ति है। कब हम अभिनय करते करते कलाकार हो चले, पता ही नहीं चला।
💐💐💐💐💐
सादर आभार आदरणीय सर सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु.
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सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
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प्रिय अनीता , जीवन में अभिनय कला का महत्वपूर्ण स्थान है यूँ कहो कि जितना सुन्दर अभिनय उतना जीवन सुखद ! अभिनव भावों से सजी सुंदर रचना | सस्नेह शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय रेणु दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु. आपकी समीक्षा हमेशा ही मेरा मार्गदर्शन करती है. बहुत ख़ुशी हुई आपका स्नेह प्राप्त हुआ. यों ही स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
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वाह , सचमुच अभिनय जिन्दगी का एक जरूरी हिस्सा बन गया है अब . जिसे नहीं आता वह फेल है . बहुत सुन्दर रचना अनीता जी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु. आपका ब्लॉग पर तहे दिल से स्वागत है. आपका स्नेह मिला अत्यंत ख़ुशी हुई. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
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बहुत ही खूबसूरत ,सच भी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
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टूटने-बिखरने का हक नहीं था
जवाब देंहटाएंउनमें से किसी किरदार को।
टूटने-बिखरने वाले की सांसें
छीन लीं जातीं या लील जाता अभिनय
कदाचित इसी भय से सब उम्दा अभिनय कर रहे हैं
हदय का पाषाण होना संवेदनहीन होना मनुष्यता के लिए बहुत ही कष्टप्रद अभिनय है
पर अभिनय है तो है....
बहुत ही लाजवाब सृजन।
सादर आभार आदरणीय सुधा दीदी मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु .
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