आँखों से झलकते पानी ने कहा।
असीम आशीष से नवाज़ती रही
लड़खड़ाती ज़बान कुछ शब्दों ने कहा।
पुस्तक थमाई थी मैंने हाथ में उसके
एक नब्ज़ से उसने एहसास को छू लिया।
कहने को कुछ नहीं थी वह मेरी
एक ही नज़र में ज़िंदगी को छू लिया।
परिवार एक पहेली समर्पण चाबी
अनुभव की सौग़ात एक मुलाक़ात में थमा गई।
पोंछ न सकी आँखों से पीड़ा उसकी
मन में लिए मलाल घर पर अपने आ गई।
अकेलेपन की अलगनी में अटकी सांसें
जीवन के अंतिम पड़ाव का अनुभव करा गई।
स्वाभिमान उसका समाज ने अहंकार कहा
अपनों की बेरुख़ी से बूढ़ी देह कराह गई।
© अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत सुन्दर छन्दबद्ध रचना।
जवाब देंहटाएंपुस्तक थमाई थी मैंने हाथ में उसके
जवाब देंहटाएंएक नब्ज़ से उसने एहसास को छू लिया।
कहने को कुछ नहीं थी वह मेरी
एक ही नज़र में ज़िंदगी को छू लिया।
लाजवाब व भाव सम्पन्न शब्द चित्र...बहुत सुन्दर सृजन ।
भाव,
जवाब देंहटाएंममत्व अहसास
इंतजार खत्म होने का चित्रण
जवाब देंहटाएंअकेलेपन की अलगनी में अटकी सांसें
जीवन के अंतिम पड़ाव का अनुभव करा गई।
स्वाभिमान उसका समाज ने अहंकार कहा
अपनों की बेरुख़ी से बूढ़ी देह कराह गई।
बहुत ही गहरी भाव को समेटे बेहतरीन सृजन अनीता ,स्नेह
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सखी
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 13 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (06-07-2020) को 'मंज़िल न मिले तो न सही (चर्चा अंक 3761) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावों से सजी रचना ।
जवाब देंहटाएंभावों का सुंदर अवगुठंन।
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्द संयोजन और भावों का सहज प्रवाह तुम्हारी रचना की विशेषता है अनु।
सस्नेह।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपरिवार एक पहेली समर्पण चाबी
जवाब देंहटाएंअनुभव की सौग़ात एक मुलाक़ात में थमा गई।
पोंछ न सकी आँखों से पीड़ा उसकी
मन में लिए मलाल घर पर अपने आ गई।
ऐसे स्वाभिमानी जिन्हें नासमझ लोग अभिमानी कहते हैं....अक्सर मनमें घर कर जाते हैं और उनकी दुर्दशा और अपने मौन पर हमेंं जीवन भर मलाल रहता है...
बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।
आदरणीय शास्त्री जी,आदरणीया मीना दीदी,आदरणीय रोहिताश जी,आदरणीया कामिनी दीदी,आदरणीया अनुराधा दीदी,आदरणीया यशोदा दीदी,आदरणीय रविंद्र जी,आदरणीय राकेश जी,आदरणीय सुभा दीदी,आदरणीय श्वेता दीदी,आदरणीय ओंकार जी,आदरणीय भारती दीदी,आदरणीया सुधा दीदी आपका सभी का स्नेह आशीर्वाद मिला निशब्द हूँ मैं.शब्द नहीं की आभार व्यक्तकर सकूँ.आप सभी का सहयोग ही ऊर्जा है मेरी.मनोबल बढ़ाने हेतु तहे दिल से आभार आपका.आशीर्वाद बनाए रखे.आभार हूँ आप सभी की .
जवाब देंहटाएंसादर