बात हृदय पर लगे आघात की है
शब्दों के भूचाल से उठे बवंडर की है
सूखी घास में लगाई जैसे आग की है
लगानेवाले भी अपने ही किसी ख़ास की है
किसी का गढ़ा द्वेष
किसी के सर मढ़ा जाएगा
अन्य मुद्दे पिछड़ गए बात एक बात की है
देखते ही देखते बातों-बातों में
कितने ही छप्पर जलेंगे
कितने ही घरों की दीवारें ध्वस्त होंगीं
पराए विचारों का मंथन कर
देह पर दाग़ मले जाएँगे
अनगिनत प्रश्नों के अंगारों पर
रिक्त हुई समाज से रीत लौट आएगी
उसकी रीड़ की हड्डी फिर गढ़ी जाएगी
विषकन्या कह पुकारगे औरतों को
डाकन, चुड़ैल,कुलटा कह कुचली जाएगी।
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
शब्दों के भूचाल से उठे बवंडर की है
सूखी घास में लगाई जैसे आग की है
लगानेवाले भी अपने ही किसी ख़ास की है
किसी का गढ़ा द्वेष
किसी के सर मढ़ा जाएगा
अन्य मुद्दे पिछड़ गए बात एक बात की है
देखते ही देखते बातों-बातों में
कितने ही छप्पर जलेंगे
कितने ही घरों की दीवारें ध्वस्त होंगीं
पराए विचारों का मंथन कर
देह पर दाग़ मले जाएँगे
अनगिनत प्रश्नों के अंगारों पर
रिक्त हुई समाज से रीत लौट आएगी
उसकी रीड़ की हड्डी फिर गढ़ी जाएगी
विषकन्या कह पुकारगे औरतों को
डाकन, चुड़ैल,कुलटा कह कुचली जाएगी।
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा सोमवार(03-08-2020) को "त्योहारों का उल्लास लिए शुभ अष्टम सु-मास यह आया !" (चर्चा अंक-3782) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
सादर आभार आदरणीय मीना दीदी मंच पर स्थान देने हेतु ।
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 02 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय यशोदा दीदी सांध्य दैनिक में स्थान देने हेतु ।
हटाएंसादर
सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर मनोबल बढ़ाने हेतु ।
हटाएंसादर
किसी का गढ़ा द्वेष
जवाब देंहटाएंकिसी के सर मढ़ा जाएगा
अन्य मुद्दे पिछड़ गए बात एक बात की है
बिल्कुल सटीक....
बस एक बात को पकड़कर उसी पर बहस .....
बाकी कुछ तो जैसे कही हो ही नहीं रहा
अपने नजरिये से बदलते हैं दूसरों की नजर
दिन को रात रात को दिन बताने की कवायद
बहुत हु लाजवाब समसामयिक सृजन
वाह!!!
सादर आभार आदरणीय सुधा दीदी सारगर्भित समीक्षा हेतु।
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दी।
हटाएंसादर
समसामयिक रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर ।
हटाएंवाह....लाज़बाब रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंवाह!सुंदर सृजन सखी ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सुभा दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
पराए विचारों का मंथन कर
जवाब देंहटाएंदेह पर दाग़ मले जाएँगे
अनगिनत प्रश्नों के अंगारों पर
रिक्त हुई समाज से रीत लौट आएगी ..
निशब्द करती मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ।
सादर आभार आदरणीय मीना दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत ही सुंदर सृजन,अनिता दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ज्योति बहन मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
आक्रोशित मन के लावा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करती एवं उसके आंच को महसूस कराती रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय राकेश भाई जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर