घर से भागा लड़का खो देता है
जीवन भर का परिवार में कमाया विश्वास।
नकार दिए जाते हैं उतरन की तरह वह और
महत्वपूर्ण मुद्दों पर रखे उसके विचार।
अविश्वास की नज़रें घूरती हैं उल्लू की तरह
फ़रेबीपन का करवाती हैं एहसास।
जुड़ नहीं पाता अपने परिवार की जड़ों से
खो देता है हक़ जिसका वह है हक़दार।
मल लेता है वह अपनी ही देह पर मटमैले दाग़
और ज़िंदगी भर धोता रहता है निष्ठा के घोल से।
घर से भागा लड़का अभागा होता है।
अपने ही बनाए दायरे में खड़ा स्वयं से जूझता है।
जीवन मूल्यों से बिछड़ बिखर जाता है
गिर जाता है सफलता के एक और पायदान से।
समाज के वे तत्त्व भी अदृश्य हो जाते हैं
जिन्होंने भागने में दिया था कभी उसका साथ।
घर से भागा लड़का अंत में एक घर बसाता है
और खटकने लगता है अपने परिवार की आँखों में।
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत सुन्दर और मार्मिक रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर
हटाएंबहुत बढ़िया👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुज ।
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (17अगस्त 2020) को 'खामोशी की जुबान गंभीर होती है' (चर्चा अंक-3796) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु ।
हटाएंकटु सत्य..,एक बार का खोया विश्वास अर्जित करना असंभव नहीं मगर कठिन जरूर है । मर्मस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी आपकी प्रतिक्रिया से संबल मिला।
हटाएंसमाज के वे तत्त्व भी अदृश्य हो जाते हैं
जवाब देंहटाएंजिन्होंने भागने में दिया था कभी उसका साथ।
एक अल्हड़ उम्र में क ई बार बहकावे में आकर भाग जाते हैं लड़के घर से बहुत कुछ पाने की चाह लिए.... पर अपनों से दूर होकर भी प्रेम होता है अपनों के प्रति...जब लौटते हैं तो प्रेम और विश्वास ढूँढ़कर भी नहीं मिलता उन्हें पहले सा..
कटु सत्य पर आधारित बहुत ही सुन्दर सृजन।
आभारी हूँ दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 18 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर आभार आदरणीय सर पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
बिल्कुल सच है लेकिन यदि अच्छा कमाऊ पूत और लोगों का मददगार बन जाय तो फिर सब कुछ भूल जाते हैं लोग,
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ मनोबल बढ़ाने हेतु।इस विषय पर आपके विचार मिले।तहे दिल से आभार आपका
हटाएंसादर
पर कभी-कभी परिवार का सहारा भी बन जाते हैं, सैंकड़ों उदहारण ऐसे भी हैं
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर। सही कहा आपने।भगवान करे इस लड़के के साथ भी सब अच्छा ही हो।
हटाएंसादर
एक पलायनकर्ता लड़के की अकेली यात्रा का अच्छा खाका खींचा है आपने अनीता जी, कभी कभी तो ऐसा लगता है कि रिश्ते हर समय ही कसौटी पर कसे जाते हैं... अपने परिवार में ही कई रिश्ते ओवररेटेड होते हैं,आपकी से कविता यही हमें सिखा रही है ...बहुत खूब झकझोरने वाला लिखा
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी आपकी प्रतिक्रिया मिली अत्यंत हर्ष हुआ।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
हृदयस्पर्शी कविता । आभार ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर ।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
वाह!
जवाब देंहटाएंघर से भागे लड़के की मनोदशा और तदोपरांत उत्पन्न सामाजिक परिस्थितियों का कम-ओ-बेश सटीक विश्लेषण किया गया है। सबसे बड़ी बात तो यही है कि कमाई हुई सामाजिक प्रतिष्ठा एक झटके में मिट्टी में मिल जाती और विश्वास की पुनर्बहाली संदेह की खाई से निकल नहीं पाती। घर से भागने के लिए प्रेरित करनेवालों के अपने निजी स्वार्थ भी होते हैं जो देर-सबेर सतह पर आ ही जाते हैं। हालांकि कुछ ऐसी उदाहरण हैं घर से भागे हुए लड़कों के जिन्होंने घर से भागकर अपनी प्रतिभा और हुनर के चलते ऊँचे मक़ाम हासिल किए हैं।
बहरहाल यह रचना हालिया राजस्थान की राजनीति में संपन्न हुए घटनाक्रम की ओर इशारा करती है।
ऐसी उदाहरण = ऐसे उदाहरण
हटाएंसादर आभार आदरणीय सर सारगर्भित समीक्षा हेतु। समय परिस्थितियों को देखते हुए आपका दृष्टिकोण सराहनीय है।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर प्रणाम
आदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और मार्मिक काव्य।
घर से भागा हुआ लड़का समाज की एक परिस्थिति है। यह कविता हम युवाओं को भी सचेत करती है और ऐसे बच्चों के परिजनों को भी अच्छा सन्देश देती है।
हृदय से आभार।
आभारी हूँ अनंता जी सृजन में निहित गुणों का बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है सृजन साकार हुआ।
हटाएंभविष्य में यों ही साथ बना रहे।
सादर
सुन्दर चित्रण उकेरा हे आप ने
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
वाह! प्रिय अनीता , बहुत ही मार्मिक रचना घर से भागने लड़का- हमारे समाज के संकीर्ण नज़रिये की वजह से घृणा का पात्र बन जाता है। समाज, परिवार उनकी मानसिक उथल - पुथल से अनभिज्ञ रह, उसके घर से भागने के दोष को ही याद रखता है । बहुत शानदार लिखा तुमने। सरल सहज शब्द चित्र जो मर्म को स्पर्श करता है। सस्नेहशुभकामनायें 💐💐🌷🌷
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय रेणु दी आप ब्लॉग पर पधारे अत्यंत हर्ष हुआ।आपकी समीक्षा हमेशा ही सृजन की सौभा दुगुनी करती है। मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु तहे दिल से आभार।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे ।
सादर प्रणाम