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गुरुवार, अगस्त 20

बड़प्पन की मुंडेर


 बड़प्पन की मुंडेर पर बैठा है 
 आत्ममुग्ध गिद्धों का कारवाँ  
 नवजात किसलय नोंचते हुए 
लोक-हित क्षेत्र से वंचित करते 
कहते वर्जित अधिकार हैं आज 
  नज़रिए पर इतराते नज़र झुकाए क्यों हैं? 

दूब की नाल-सा फलता-फूलता 
वर्तमान के प्रगति पथ पर 
संर्कीणता का मनमाना राज्य 
जनता पर करते दोहरे अत्याचार 
की भारत की ऐसी हालत 
आबरु लुटा बेहयाई से विचरते क्यों हैं?

शर्म-हया व्यापार में लुटाई 
किसी की गर्दन दबोचने में व्यस्त 
 किसी के बाँधते हाथ-पैर 
ज़बान पर चुप्पी की मोहर का मंडन 
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनते 
रसूख़दारों के उसूल भी बिकते क्यों हैं? 

 हवा में मनमानी का जोश 
 जनतंत्र जंज़ीरों में जकड़ा 
रौब के  उठते धुएँ में 
बर्फ़-सी पिघलती मानवता 
 भविष्य आज़ादी के लिए 
दुआ में उठाता हाथ तड़पता क्यों है? 

©अनीता सैनी 'दीप्ति'

16 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 21-08-2020) को "आज फिर बारिश डराने आ गयी" (चर्चा अंक-3800) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.

    "मीना भारद्वाज"


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    1. सादर आभार आदरणीय मीना दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  2. सार्थक रचना प्रिय अनीता !
    अक्सर --
    दूब की नाल-सा फलता-फूलता
    वर्तमान के प्रगति पथ पर
    संर्कीणता का मनमाना राज्य
    जनता पर करते दोहरे अत्याचार
    की भारत की ऐसी हालत
    आबरु लुटा बेहयाई से विचरते क्यों हैं?
    जैसे प्रश्न अनुत्तरित ही तो रह जाते हैं |

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    1. तहे दिल से आभार आदरणीय रेणु दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  3. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  4. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

      हटाएं
  5. शर्म-हया व्यापार में लुटाई
    किसी की गर्दन दबोचने में व्यस्त
    किसी के बाँधते हाथ-पैर
    ज़बान पर चुप्पी की मोहर का मंडन
    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनते
    रसूख़दारों के उसूल भी बिकते क्यों हैं?
    सटीक प्रश्न करती सार्थक भावाभिव्यक्ति
    वाह!!!

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    1. तहे दिल से आभार आदरणीय सुधा दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 24 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  7. बहुत सुंदर रचना सखी

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    1. तहे दिल से आभार दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  8. प्रगति के पथ की दास्ताँ ...
    कितनी कठोर है राह ... अभिव्यक्ति को दबोचना काल का सबसे अच्छा शुगल ... पर चल रहा है जीवन ...

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    1. सादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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