प्राणवायु देते पेड़
ठूँठ में तब्दील हो चुके हैं।
कुछ पत्ते हैं उन पर पीले रंग के
झड़ते नहीं वृक्ष को जकड़े हुए हैं।
टहनियों की
धड़कनों से रिसती है घुटन।
नमी का एहसास
छूने से मिलता है आज भी।
फल खो चुके हैं
प्राकृतिक स्वरुप व स्वाद
वे स्वयं की गुणवत्ता लुटाकर
मात्र एक नाम हैं।
कोई कहता पथप्रगति का
कोई जामा पहनाता पश्चिमी प्रभाव का।
हाँ ! हल्का हवा का झोंका ही है वह
जिज्ञासा महत्वाकांक्षा
तृष्णा के पँख उधेड़-बुन की गठरी
सुविधा के नाम पर डंठल लाए है।
परिवर्तनशील मुख
धँसी आँखें और दाँत कुछ नुकीले
भव्य ललाट पैरों से कुचलता संवेदना
अट्टहास करता आया है।
हाँ ! लेकर आया है वह झोंका
वृक्षों की जड़ों में दीमक के बसेरे में
विस्मय से निर्बोध तक
शून्य की समीक्षा तक गहन विचार।
ठूँठ बन चुके वृक्ष सजाएँगे
शाखाएँ पनीले पत्तों से
ऐसा विस्तृत स्पंदन करता आया है।
कुछ बुलबुले हवा में गढ़ता
सूनेपन की सिहरन दौड़ाता
कुछ विचार अधरों पर रखता
हल्की साँकल की ध्वनि-सा
अंतस पर मढता प्रभाव लाया है
शिक्षकों के अभाव में
शिक्षा-नीति में नया बदलाव आया है।
©अनीता सैनी 'दीप्ति '
शिक्षकों के अभाव में
शिक्षा-नीति में नया बदलाव आया है।
©अनीता सैनी 'दीप्ति '
पर्यावरण का प्रभाव पूरे चेतन जगत पर पड़ता है . आपके रचना बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से एक संदेश देती है जागरूकता का । बेहद सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 04 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय यशोदा दीदी सांध्य दैनिक में स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 5 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर आभार आदरणीय पम्मी दीदी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
कोई जामा पहनाताप श्चिमी प्रभाव का। पश्चिमी कर लें।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी सर मार्गदर्शन हेतु।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
अद्भुत बिम्ब से सजी सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय अनिता दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय हर्ष जी सर अत्यंत ख़ुशी हुई आपके मार्गदर्शन से।आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
आदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कटाक्ष समाज की हर परिस्थिति पर। आपकी रचना आत्मा को झकझोरते हुए एक कठोर सत्य को बतलाती है।
सुंदर रचना के लिये हृदय से आभार।
सादर आभार अनंता जी सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर और सशक्त रचना।
जवाब देंहटाएंराम मन्दिर के शिलान्यास की बधाई हो।
बहुत बहुत शुक्रिया सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सादर आभार आदरणीय दिलबागसिंह जी सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
संवेदनशील मनोभावों को प्रकट करती अच्छी रचना । हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
शिक्षकों के अभाव में
जवाब देंहटाएंशिक्षा-नीति में नया बदलाव आया है।
ये हल्की हवा का झोंका भी कितने ही बदलाव लाया है...पूरे पर्यावरण पर इसका असर इस कदर पड़ा है कि न स्वीकारने में बनता है और न अस्वीकारने में...बहुत ही सुन्दर समसामयिक सृजन।
सादर आभार आदरणीय सुधा दीदी रचना का मर्म स्पष्ट करती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
कुछ विचार अधरों पर रखता
जवाब देंहटाएंहल्की साँकल की ध्वनि-सा
अंतस पर मढता प्रभाव लाया है
शिक्षकों के अभाव में
शिक्षा-नीति में नया बदलाव आया है। बहुत सुंदर रचना सखी
सादर आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर है