मोती-सी बरसे बूँदें धरा के आँचल पर
तब पात प्रीत के धोती है बरसात
पल्लवित लताएँ चकित हैं अनजान-सी
रश्मियाँ अनिल संग जोहती जब बाट है
ऊँघते स्वप्न की समेटे दामन में सौग़ात
पुकारती आवाज़ का कोलाहल क्यों मौन है?
धैर्य बादलों का टूटा या नभ से छूटा भार
शनै:-शनै: तम का घटाओं ने गढ़ा आकार है
जुगनुओं की बिखरी पाती पर शोक
खिलते कमल के असुवन का पहने हार है
गिरती गाज को देखकर मूँदे नयनों को
चमक की मुस्कान पर आह्नान क्यों मौन है?
सीपी की कोख में विचलित मोती की वेदना
हिम हिय पर तैरते श्यामल घन का बरसना
प्रभात कपोल पर भविष्य शिशु का सिसकना
नक्षत्र बूँद का हरण मुकुल का मुरझाना
स्वप्नशाला की शैया पर अट्हास का आहना
निशा नींद के उच्छवास पर वर्तमान क्यों मौन है?
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 04 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर संध्या दैनिक में स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (05-09-2020) को "शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3815) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत बहुत शुक्रिया सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर प्रणाम
बहुत सुंदर रचना,अनिता दी।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय ज्योति बहन।अत्यंत हर्ष हुआ आप ब्लॉग पर पधारीं।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर प्रणाम
बहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंभावों के अलग प्रयोग मोहक लगे, प्रश्न के रूप में बिंब सुंदर है।
सार्थक प्रतीक।
आभारी हूँ प्रिय कुसुम दी आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।अत्यंत हर्ष हुआ।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
मन में उठते भावों को प्रकृति के अनगिनत रुपों में तलाशना और साम्यता स्थापित करना...अद्भुत सृजनात्मकता । अति सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय मीना दी आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।अत्यंत हर्ष हुआ।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
प्रकृति के रहस्य.
जवाब देंहटाएंआभारी आदरणीय प्रतिभा दीदी।अत्यंत हर्ष हुआ आपका मार्गदर्शन मिला।आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना बहना।
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
आभारी हूँ बहना अत्यंत हर्ष हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
हटाएंसाथ यों ही बना रहे।
सादर
प्रकृति के अनेक रूपों को दर्शाती सुंदर रचना। कविता के शब्द शिल्प की तो विशेष तारीफ करनी पड़ेगी।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय मीना दीदी आपकी प्रतिक्रिया मिली।अत्यंत हर्ष हुआ। साथ यों ही बना रहे।
हटाएंसादर
एक अनुत्तरित प्रश्न लिए मन का सुंदर चित्रण ,बेहतरीन सृजन अनीता जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दी।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
जीवन के अनेक पल ऐसे होते हैं जब कुछ नहीं सूझता ... सब कुछ मौन हो जाता है उस समय ....
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
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