उसके रुँधे कण्ठ में पानी नहीं था
शर्म स्वयं का खोजती अस्तित्व
चित्त से उलझ कोलाहल में लीन
भावबोध से भटक शब्द बन चुकी थी।
शब्द मौन साधे स्वर की खोज में
दरकती चुप्पी संग सन्नाटे से मिला
उधार के शब्दों ने शब्द माँगे भाव से भीगे
हृदय के कपाट पर चाहत मलने के लिए।
चोट के अनंत निशान नवाँकुर से उभरे
कुछ व्यर्थ के शब्द बिखरे मन आँगन में
अर्थ के नुकीले दाँत प्रभाव में खिसियाए
निंदा के ठहरे होंठ भी द्वेष में थिरके।
घाव बबूल के काँटों से गहरे पड़े मन में
शब्द सहमे चित्त का उद्गार बिका बाज़ार में
देख जीवन लकीरों का टूटा डेढ़ापन
भ्रम का भार तड़प-तड़पकर रोया।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (29-9 -2020 ) को "सीख" (चर्चा अंक-3839) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय कामिनी दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंचोट के अनंत निशान दरख़्त से उभरे
जवाब देंहटाएंकुछ व्यर्थ के शब्द बिखरे मन आँगन में
अर्थ के नुकीले दाँत प्रभाव में खिसियाए
निंदा के ठहरे होंठ भी द्वेष में थिरके।
भावों में गूढ़ता लिए हृदयस्पर्शी सृजन .अत्यंत सुन्दर ।
तहे दिल से आभार आदरणीय मीना दी मनोबल बढ़ाने हेतु।आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।
हटाएंघाव बबूल के काँटों से गहरे पड़े मन में
जवाब देंहटाएंशब्द सहमे चित्त का उद्गार बिका बाज़ार ',,,,, बहुत भावपूर्ण रचना मेरे अन्तर मन को हिला गई ।आदरणीया प्रणाम
सादर आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंअनीता, मैं भावों की भूलभुलैयों में भटक जाता हूँ.
जवाब देंहटाएंइमानदारी से कहूं तो न तो मुझे कबीर की उलटवासियाँ समझ में आती हैं और न ही रहस्य का आवरण लिए आधुनिक गूढ़ कविताएँ.
मैं इस कविता की तारीफ़ या आलोचना, कुछ भी करने में असमर्थ हूँ.
सादर आभार आदरणीय सर निवेदन है एक बार फिर पढ़े फिर भी ...।
हटाएंसादर प्रणाम
भावपूर्ण रचना ! बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंमन में उठते भावों से आड़ोलित लेखनी, शब्दों का संसार रचती मन की ऊहापोह का सुंदर ताना बाना।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन ।
तहे दिल से आभार आदरणीय कुसुम दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंबहुत सुंदर रचना,दिल को झकझोर दिया अपने।
जवाब देंहटाएंभ्रम का भार तड़प-तड़पकर रोया।
निरुत्तर।
आभारी हूँ आदरणीय जफ़र जी। मनोबल बढ़ाने हेतु सादर आभार।
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