एक ही नाम गिरोह
कौन बनाता है?कहाँ पनपता है?
पनाह कौन देता है?
जाती समुदाय का टिकट
दिमाग़ के पिछले हिस्से में
चिपकाए घूमता है सदियों से
शून्य विचारों में विलीन
हाँकता प्रभुत्त्व को
उषा तेज मुखमंडल पर
धारण करता कहलाता
उजाले का पार्थ
शक्ति गढ़ता स्वयं शब्दों में
आज अँधरे में मुँह
छिपाए ख़ामोश क्यों है?
न वाहवाही के पोस्टर
अगुवाओं की अँगुली ने गढ़े
अंधभक्ति का भार क्यों
कुछ क्षण में झड़ा है ?
मौन है बिकाऊ मीडिया
उठी न न्याय की आवाज़
औरतों के सीने में वर्तमान का कैसा
प्रभाव गढ़ा है ?
शिक्षा के नाम पर क्रूरता लादे
प्रगतिपथ मिथक लिबास में
अहंकार के बढ़ते क़दमों से
मानवता की बर्बर हत्या
क्या राम राज्य इसी का नाम है ?
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 02-10-2020) को "पंथ होने दो अपरिचित" (चर्चा अंक-3842) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 01 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंपते की बात.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंमौन है बिकाऊ मीडिया
जवाब देंहटाएंउठी न न्याय की आवाज़
औरतों के सीने में वर्तमान का कैसा
प्रभाव गढ़ा है ?...वाह अनीता जी क्या बात कही है...सारगर्भित
बहुत सारी पीड़ा समा गई शब्दों में जो चारों तरफ बिखरी दिखाई देती है ।
जवाब देंहटाएंयही प्रश्न तो बार-बार कौंध रहा है जिसका उत्तर कौन देगा ? प्रभावी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमौन है बिकाऊ मीडिया
जवाब देंहटाएंउठी न न्याय की आवाज़
बहुत सार्थक और गहरी रचना , जोसम सामयिक विसंगतियों को संवेदनशीलता से दर्शाती हैं।
वर्तमान परिस्थियों के अंधकारों - कसैले स्वादों पर चोट करती हुई एक सराहनीय रचना...
जवाब देंहटाएंशिक्षा के नाम पर क्रूरता लादे
जवाब देंहटाएंप्रगतिपथ मिथक लिबास में
अहंकार के बढ़ते क़दमों से
मानवता की बर्बर हत्या
क्या राम राज्य इसी का नाम है
बिल्कुल सटीक प्रश्न... समसामयिक हालात़ं पर प्रश्नचिन्ह उठाती सराहनीय कृति।
वाह!!!