आदरणीया कुसुम दीदी का अपार स्नेह मुझे प्राप्त है। मेरे प्रथम काव्य-संग्रह 'एहसास के गुंचे' की आदरणीया कुसुम दीदी ने अपनी चिर-परिचित शैली में समीक्षा लिखी है।आदरणीया दीदी किसी भी रचना का मर्म स्पष्ट करने और भाव विस्तार करने में सिद्धहस्त हैं। आपका स्नेह और आशीर्वाद पाकर मैंने ब्लॉग जगत के साथ साहित्य के क्षेत्र में अपना सफ़र तय करने का निश्चय किया है। साहित्य क्षेत्र में क़दम-क़दम पर वरिष्ठ जनों के मार्गदर्शन एवं सहयोग की ज़रूरत पड़ती है।आदरणीया दीदी सदैव रचनाकारों को प्रोत्साहित करतीं नज़र आतीं हैं।
लीजिए पढ़िए आदरणीया कुसुम दीदी द्वारा लिखी मेरी पुस्तक 'एहसास के गुंचे' की समीक्षा-
अनीता सैनी "दीप्ति" जी का 'एहसास के गूँचे' मेरे हाथ में है ।
ये उनका पहला काव्य संग्रह है,
वैसे ब्लाग जगत का ये दैदीप्यमान तारा फेसबुक और काव्य प्रेमियों के लिए अंजान नहीं है ,उनकी सतत और सशक्त लेखनी निर्बाध गति से साहित्य पथ पर अग्रसर है।
पूर्ण समीक्षा कर सकूं ऐसा अभी तक स्वयं में सामर्थ्य नहीं पाती पर पुस्तक पढ़ कर कुछ उदगार
जो सहज ही मेरे मानस पर आते वो व्यक्त कर रही हूं।
'एहसास के गूँचे' क्या है मेरी नज़र में----
भावों की अवरुद्ध यवनिका को हटा कर, कुछ असंगत वर्जनाओं को तोड़ कर, जीवन की अनेकों संवेदनाओं से ओतप्रोत रंग सहज गति से शब्दों के रूप में श्वेत पन्नों की विथिका में विचरण कर रहें हैं ।
प्रेम ,आस्था, विश्वास,समर्पण
सामायिक, सामाजिक,चिंतन समस्याएं,कुंठा ,विश्वानुभूति सभी विषय समाहित है इसमें।
जगह जगह साबित करती है इनकी रचनाएं कि कवियत्री संवेदनशील,कोमल हृदय,सामाजिक और मानवीय मूल्यों के प्रति अगाढ़ आस्था के भाव रखती है जो उनकी कविताओं में स्वत: ही उभर कर पाठक को गहरा जोड़ लेती है ।
विषय में गहरे तक डूबने की क्षमता साथ ही हर दर्द को महसूस कर उस से जूड़ जाना,
कुछ रचनाओं में उनके व्यक्तित्व का ये गुण स्पष्ट सामने आ रहा है।
कुछ जगह भाव गूढ़ और रहस्यात्मक हो जाते हैं जो आम पाठक को कुछ विचलित करते होंगें, पर रचनाओं के नजदीक जाकर ये महसूस होता है कि यह उनका अपना स्वाभाविक अंदाज है।
मुझे पुरा संकलन पठनीय लगा तो किसी भी अलग अलग रचना पर अपने भाव नहीं रखकर पुरी पुस्तक पर सामूहिक भाव रख रही हूं ।
भाषा सहज मिश्रित, बोलचाल में व्यवहार होते फारसी, उर्दू शब्दों का हिंदी के साथ तालमेल करता सुंदर प्रयोग।
अनीता जी को उनके पहले एकल काव्य संग्रह के लिए अनंत शुभकामनाएं और बधाई,वे सदैव अपनी काव्य यात्रा में नये आयाम स्थापित करें ।
उनका अगला काव्य संग्रह और भी परिमार्जित होकर शीघ्र ही काव्य प्रेमियों के हाथ में आये।
शुभकामनाओं सहित ।
कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'।
बेहतरीन समीक्षा हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर ।
हटाएंशानदार🌻👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनुज।
हटाएंबहुत सुंदर समीक्षा,बहुत सारी शुभकामनाएँ दिल से ,जीवन में आप बहुत कामयाब हो ।
जवाब देंहटाएंस्नेह शुभकामनाएँ मिली दिल से आभार आपका।
हटाएंसादर
बहुत ही शानदार समीक्षा की है कुसुम जी ने...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
दिल से आभार आदरणीय सुधा दीदी।
हटाएंबहुत सुंदर समीक्षा, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार बहना।
हटाएंकुसुम जी द्वारा पुस्तक की लाजवाब और बेहतरीन समीक्षा । आप उतरोत्तर नये आयाम स्थापित करती रहें बहुत बहुत बधाई 💐💐
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय मीना दीदी।
हटाएंबहुत ही सुन्दर ओंर बधाईया अब तक जो जीवन मे जो आपने देखा अपने आसपास जो महसूस किया उसी को काव्य का रूप दिया ओंर अहसास के गुच्छो के रूप मे शब्दों का महेल खड़ा किया ये अपने आप बहुत बड़ा काम किया ||गूगल प्लस के समय से आपका ब्लॉग देखता आ रहा हु आज ये जानकारी पढ़ कर बहुत ही ख़ुशी हो रही है || साहित्य जगत की उचाईयो को यु ही छूती रहो इसी उज्झ्व्ल कामना ओंर आशीर्वाद के साथ मै भीकम जांगिड़ कवी भयंकर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसारगर्भित और सन्तुलित समीक्षा।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंबहुत बढ़िया और लाजवाब समीक्षा
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय सुधा दीदी मनोबल बढ़ाने हेतु।
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