थक-हारकर
जब सो जाती है पवन
दीपक की हल्की-सी लौ में
मिलने आतीं हैं
बीते लम्हों की
कुछ हर्षित परछाइयाँ
चहल-पहल से दूर
ख़ामोशी ओढ़े एक कोने में
कुछ सुनतीं हैंं
कुछ सुनातीं हैं
स्वप्न सजाए थाल में
बीते पलों के कुछ मुक्तक
लिए आतीं हैं गूँथने
हरी दूब-सा खूबसूरत हार
चाँदनी रात में
बरसती धुँध छानती हैं
कुछ भूली-बिसरी स्मृतियाँ
तुषार बूँदों में भीगे
मिलने आ ही जाते हैं
कुछ अविस्मरणीय दृश्य
हाथों पर धरे अपने
अनमोल उपहार
सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे लिए।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 13
जवाब देंहटाएंनवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय यशोदा दी सांध्य दैनिक पर स्थान देने हेतु।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुज मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण।
जवाब देंहटाएंरूप-चतुर्दशी और धन्वन्तरि जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
तुषार बूँदों में भीगे
जवाब देंहटाएंमिलने आ जाते हैं
कुछ अविस्मरणीय दृश्य
हाथों पर धरे
अपने अनमोल उपहार
सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे लिए।
वाह !!!
अत्यंत सुन्दर मखमली अहसास भरा सृजन । तस्वीर ने सृजन को और भी सुन्दर और प्रभावपूर्ण बना दिया है ।
सादर आभार आदरणीय मीना दी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली।मनोबल बढ़ाने हेतु दिल से आभार।
हटाएंसादर
दीप पर्व शुभ हो।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
बहुत भावपूर्ण सरस रचना |
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
मंगलकामना
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की बधाई
हार्दिक आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
बरसती धुँध छानती हैं कुछ भूली बिसरी स्मृतियाँ...।भावपूर्ण पंक्तियाँ..।दीपोत्सव की मंगलकामना..।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय दी आभारी हूँ मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
अत्यंत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-11-2020) को "गोवर्धन पूजा करो" (चर्चा अंक- 3886 ) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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दीपावली से जुड़े पञ्च पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
कुछ अविस्मरणीय दृश्य
जवाब देंहटाएंहाथों पर धरे
अपने अनमोल उपहार
सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे लिए। अनुपम रचना सजल अनुभूतियों से भरी। दीपोत्सव की असंख्य शुभकामनाएं ।
आभारी हूँ सर मनोबल बढ़ाने हेतु। आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
वाह
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना
आपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं🌹🍁
आभारी हूँ सर मनोबल बढ़ाने हेतु।आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
दिल को छूती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ ज्योति बहन मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
तुषार बूँदों में भीगे
जवाब देंहटाएंमिलने आ जाते हैं
कुछ अविस्मरणीय दृश्य
हाथों पर धरे
अपने अनमोल उपहार
सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे लिए
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण मधुर स्मृतियां
वाह!!!
लाजवाब।
आभारी हूँ आदरणीय दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (११-०७-२०२१) को
"कुछ छंद ...चंद कविताएँ..."(चर्चा अंक- ४१२२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन.....
रेशमी अहसास की गूंथित सुंदर भाव रचना! जैसे बादलों के अवगुंठन से चाँद हौले हौले झांक कर मोहित करता हो ।
जवाब देंहटाएंअभिनव, सुंदर, मोहक।
अति सुंदर भावपूर्ण रचना
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