मैने देखा एक साया
उड़ते खग की परछाई-सा
अतृप्ति का भाव दुखों को ओढ़े
सागर-सा सूनापन सुषुप्तावस्था में
तनाव की दरारों से शब्द बन झाँकता।
काल के क़दमों से तेज़
तीव्र वेग से दौड़ता कुंठित मन-सा
सूखे पात-सा लिप्सा में लीन
तृष्णा की टहनी पर बैठा
काया को कलुषित करता।
दोष रुपी असंख्य रोगों को
आग़ोश में भरता
चिंता रुपी ज्वर से ग्रसित
मनवीय मूल्यों का हनन करता
नित नई संर्कीणता धारण करता।
मन के कहे को गुमान से करता
विकराल रुप कुकर्मों का धरता
षड्यंत्र रुपी गुफा गढ़ता
भ्रम की पट्टी आँखों पर बाँधे
स्वयं सिद्धता दर्शाने आतुर रहता।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 27-11-2020) को "लहरों के साथ रहे कोई ।" (चर्चा अंक- 3898) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
…
"मीना भारद्वाज"
आभारी हूँ मीना दी चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ नवंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सादर आभार आदरणीय श्वेता दी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
बहुत बढ़िया 👌 🌻
जवाब देंहटाएंसादर आभार अनुज।
हटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ।
हटाएंबहुत सुन्दर चित्रगीत।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर।
हटाएंविकराल रुप कुकर्मों का धरता
जवाब देंहटाएंषड्यंत्र रुपी गुफा गढ़ता
भ्रम की पट्टी आँखों पर बाँधे
स्वयं सिद्धता दर्शाने आतुर रहता
–क्या कीजियेगा सबके वश की बात कहाँ कि आईना में नजर मिला ले
–सुन्दर भावाभिव्यक्ति
दिल से आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाने हेतु।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय ज्योति बहन।
हटाएंमैने देखा एक साया
जवाब देंहटाएंउड़ते खग की परछाई-सा
अतृप्ति का भाव दुखों को ओढ़े
सागर-सा सूनापन सुषुप्तावस्था में
तनाव की दरारों से शब्द बन झाँकता।
बढ़िया प्रस्तुति
साधुवाद 🌹
आभारी हूँ दी नमोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
दोष रुपी असंख्य रोगों को
जवाब देंहटाएंआग़ोश में भरता
चिंता रुपी ज्वर से ग्रसित
मनवीय मूल्यों का हनन करता
नित नई संर्कीणता धारण करता...
जीवन-दर्शन से परिपूर्ण हृदयस्पर्शी रचना !!!
हार्दिक बधाई!!!
दिल से आभार आदरणीय दी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन का मर्म स्पष्ट हुआ।आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
आग़ोश में भरता
जवाब देंहटाएंचिंता रुपी ज्वर से ग्रसित
मनवीय मूल्यों का हनन करता
नित नई संर्कीणता धारण करता।
सुंदर प्रस्तुति। साधुवाद।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सधु जी।
हटाएंबहुत सुन्दर। आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंयही स्वार्थ-सिद्धि की पाशविक प्रवृत्ति आज सफलता की कुंजी है !
आपका आशीर्वाद मिला सर बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंसादर
वाह!प्रिय अनीता ,बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार प्रिय दी आपकी प्रतिक्रिया मिली अत्यंत हर्ष हुआ।
हटाएंसादर
थोड़ी कठिन लगी रचना, प्रबुद्ध पाठकवर्ग तो समझ पाएँगे परंतु सामान्य पाठक को कठिनाई हो सकती है।
जवाब देंहटाएंमुझे अच्छी लगी।
दिल से आभार प्रिय मीना दी आपकी प्रतिक्रिया मिली सृजन सार्थक हुआ।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
मूढ़ दृष्टि की इतनी ही सीमा होती है । अति सुन्दर भाव ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय दी आपकी प्रतिक्रिया मिली सृजन सार्थक हुआ।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंभावनाओं की अभिव्यक्ति है आपकी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
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