यादों का आसमान
स्मृतियों की दहलीज़
अधखुले दरीचे से झाँकता चाँद
तुम्हारी याद में।
मन की वीथियाँ को
एहसास के ग़लीचे से सजाया
भावनाओं के गूँथे बेल-बूँटे
ख़ुशियों की झालर लगाई
तुम्हारी याद में।
बिखरी बेचैनियों को
लिबास दुल्हन का पहनाया
मेहंदी-काजल से की मनुहार
सिसकती चुप्पी को मनाया
तुम्हारी याद में।
आँखों के खारे पानी से
नित-नित धोए पैर रंगरेज़ समय के
चाँदनी भर-भर अँजुरी में निखारा
जीवन का सारा अंह हारा
तुम्हारी याद में।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 06-11-2020) को "अंत:करण का आयतन संक्षिप्त है " (चर्चा अंक- 3877 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
आभारी हूँ आदरणीय मीना दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार अनुज मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ६ नवंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आभारी हूँ आदरणीय श्वेता दी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
Vaah .. rangrej samay 🙏😍🙏
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंवाहः.. सुन्दर-सुन्दर बिम्ब पढ़ने में रुचिकर
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय दी आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
बिखरी बेचैनियों को
जवाब देंहटाएंलिबास दुल्हन का पहनाया
मेहंदी-काजल से की मनुहार
सिसकती चुप्पी को मनाया
तुम्हारी याद में। बेहद हृदयस्पर्शी रचना 👌
सस्नेह आभार सखी मनोबल बढ़ाने हेतु।
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बिखरी बेचैनियों को
जवाब देंहटाएंलिबास दुल्हन का पहनाया
मेहंदी-काजल से की मनुहार
सिसकती चुप्पी को मनाया
तुम्हारी याद में।
यादों का समंदर बरसता है खुद में ... शानदार अभिव्यक्ति
बहुत बहुत शुक्रिया मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंयादों का आसमान
जवाब देंहटाएंस्मृतियों की दहलीज़
अधखुले दरीचे से झाँकता चाँद
तुम्हारी याद में।
....लाजवाब कल्पना, खूबसूरत अभिव्यक्ति। कविमन क्या-क्या करवाता है, चाँद भी शर्माता है।।।।।
सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंबिखरी बेचैनियों को
जवाब देंहटाएंलिबास दुल्हन का पहनाया
मेहंदी-काजल से की मनुहार
सिसकती चुप्पी को मनाया
तुम्हारी याद में।
वाह!!!
लाजवाब सृजन।
दिल से आभार आदरणीय दी आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंविरहा गीत !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मन के अहसासों को लिबास पहनाता।
सुंदर सुघड़।
दिल से आभार आदरणीय कुसुम दी आपकी प्रतिक्रिया से अत्यंत हर्ष हुआ।मनोबल बढ़ाने हेतु दिल से आभार।
हटाएंसादर