आज-कल यथार्थ
लोकप्रियता के शिखर पर है
सभी को यथार्थ बहुत प्रिय है
जहाँ देखा वहीं
यथार्थ के ही चर्चे हैं
अँकुरित विचार हों या
कल्पना की उड़ान
शब्दों की कोंपलों में
यथार्थ की ही गंध मिलती है
मन-मस्तिष्क में उठते
भावों की तरंगें हों या
क़ागज़ पर बिखरे शब्द
यथार्थ ही कहते हैं
हर कोई यथार्थ के चंगुलों में
यथार्थ खाते हैं,यथार्थ पहनते हैं
यथार्थ संग सांसें लेते हैं
यथार्थ के आग़ोश में बैठी
ज़िंदगियाँ हिपनोटाइज़ हैं
जिन्हें समझ पाना बहुत कठिन
समझा पाना और भी कठिन है।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आज-कल यथार्थ
जवाब देंहटाएंलोकप्रियता के शिखर पर है
सभी को यथार्थ बहुत प्रिय है
बहुत खूब !! अति सुन्दर!!
आपकी लेखनी में भी बहुत आग है , मर्म तक सुलग जाता है । साथ ही यथार्थ का आगोश चारों तरफ से घेर लेता है । यूँ ही सुलगाती रहिए ।
जवाब देंहटाएंसकारात्मक सोच, सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएं--
नूतन वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (5-12-20) को "रचनाएँ रचवाती हो"'(चर्चा अंक-3937) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
बेहतरीन सृजन।
जवाब देंहटाएंयथार्थ के आग़ोश में बैठी
जवाब देंहटाएंज़िंदगियाँ हिपनोटाइज़ हैं
जिन्हें समझ पाना बहुत कठिन
समझा पाना और भी कठिन है।
..अंतर्मन को बेधती पंक्तियाँ..सुंदर रचना
नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंमन-मस्तिष्क में उठते
जवाब देंहटाएंभावों की तरंगें हों या
क़ागज़ पर बिखरे शब्द
यथार्थ ही कहते हैं
हर कोई यथार्थ के चंगुलों में
यथार्थ खाते हैं,यथार्थ पहनते हैं
यथार्थ संग सांसें लेते हैं
वर्तमान जीवन के यथार्थ का यथार्थ चित्रण करती लाजवाब कविता...
हार्दिक बधाई अनीता सैनी जी 🌹🙏🌹
बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसीधा कटाक्ष ।
जवाब देंहटाएंयथार्थ की आड़ में सचमुच इंद्रजाल बुना जा रहा होता है कितने भ्रमित हो जाते हैं और कई हंस कर यथार्थ की धज्जियाँ उड़ाते हैं ।
बहुत सुंदर व्यंग्य है।
ज़िंदगियाँ हिपनोटाइज़ हैं
जवाब देंहटाएंजिन्हें समझ पाना बहुत कठिन
समझा पाना और भी कठिन है। तथाकथित यथार्थ के मुखौटों को उतारती हुई, अति सुन्दर रचना, हमेशा की तरह अपना प्रभाव देर तक के लिए छोड़ जाती है - - साधुवाद आदरणीया अनीता जी - - नमन सह।
बेहद सशक्त लेखन ....
जवाब देंहटाएंयथार्थता का आवरण कठोरता अभिव्यक्त कर रहा है। कोमलतायें, भावनायें शून्य होती जा रही। कविता में यथार्थ की कड़वाहट से चिपके हुयों के लिये सुंदर संदेश है।
जवाब देंहटाएंयुद्ध एक स्याह अध्याय है
जवाब देंहटाएंइंसानियत के लिए
युद्ध दुःस्वप्न है
अनाथ शरणार्थियों के लिए।
बहुत सुन्दर
हर किसी का अपना अपना यथार्थ है ... वो एक स्वप्न है या सच में अपना अपना यथार्थ है ... ये एक उधेड़बुन है ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है ...
यथार्थ को विश्लेषित करती गम्भीर कविता
जवाब देंहटाएंसचमुच बहुत अच्छा लिखती हैं आप प्रिय अनीता जी 💐🌹💐
वाह बेहतरीन सृजन
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