मैं यह नहीं कहूँगी
कि उसकी समझ के पिलर
उखड़ चुके हैं और वह
जीवन से इतर भटक चुकी थी।
कदाचित मन की नीरवता
रास्ते के छिछलेपन में उलझी
भूख की खाई को भरते हुए
समय के साथ ही विचर रही।
इसलिए मैं यह कहूँगी
कि भय से अनभिज्ञ दौड़ते हुए
वाकिया घटित होने पर
ज़ख़्मी और हताश अवस्था में भी
इंतज़ार करती रही उपचार का
ज़िंदगी में मिली बहुताए
ठोकरों के उपरांत
चोट खाने पर शाँत अवस्था में
आँखों में मदद की गुहार लिए
वह वहीं ज़मीन पर ही पड़ी रही।
किसी की संपति नहीं होने पर
आवारापन की पीड़ा भोगते हुए
घटित घटना घायल हो घबराई नहीं
कुछ नहीं थी मेरी अपनी हो गई।
हृदयस्पर्शी सृजन🌻
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुज।
हटाएंसादर
गंभीर विचारों को समेटे , एक अच्छी रचना। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया अनीता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंसादर
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 01 फ़रवरी 2021 को 'अब बसन्त आएगा' (चर्चा अंक 3964) पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
चर्चामंच पर स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंसादर
घटना..
जवाब देंहटाएंसोचती हूं कितने लोग सोचते होंगे..
इस तरह ..बहुत कम लोग..
आपकी कविता बहुत कुछ कहती है..
दिल से आभार सखी।
हटाएंसादर
गहरी सोच से ओतप्रोत, मन की उद्बुदाहट को शब्दों में भ
जवाब देंहटाएंपिरोती हुई रचना।
उत्तमोत्तम ।
सादर।
बहुत बहुत शुक्रिया सखी ।
हटाएंसादर
सारगर्भित एवं संवेदनशील भावाभिव्यक्ति का सृजन..
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय दी।
हटाएंसादर
मर्मस्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसादर
उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंसादर
सारगर्भित और मर्मस्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंसादर
हृदयविदारक 'घटना'.... मुंह भी कैसे फेरा जा सकता है ?
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय दी।
हटाएंसादर
एक रहस्य जैसा आगे बढ़ता सृजन ।
जवाब देंहटाएंघटित घटना घायल हो घबराई, शानदार अनुप्रास! रचना की नायिका बिल्कुल अछूती है "घटना "
अभिनव शैली।
सुंदर।
दिल से आभार आदरणीय दी।
हटाएंसादर
एक अलग अंदाज़ एक अलग एहसास - - जो अपने तिलिस्म में बांध ले - - एक अल्हदा बहाव जो दूर तक साथ ले जाए - - अनुपम कृति नमन सह।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंसादर
सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसादर
अपने आप में एक कहानी समेटे हृदयस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय मीना दी।
हटाएंसादर
घटित घटना घायल हो घबराई नहीं
जवाब देंहटाएंकुछ नहीं थी मेरी अपनी हो गई।
बहुत गहरी बात...
मन को छू रही है आपकी यह रचना अनीता जी 🌹🙏🌹
सादर आभार आदरणीय शरद दी।
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बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अभिलाषा दी।
हटाएंसादर
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर।
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