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बुधवार, फ़रवरी 10

वर्तमान


 एकाकीपन में डूबी चुप्पी

शब्द तलाश ही रही थी कि

अचानक चोट खाया वर्तमान 

हृदय से लिपटकर  रोया।


आत्मभाव से जकड़ी हथेलियाँ  

आपबीती अक्षर बन बिखरी 

अवंतस के लूटने का प्रमाण 

पक्षियों का स्वर बन चहचहाया।


अहं पँखों पर सवार हो आया 

तारों की कतार ज्योति को बुझाया 

चाँद की धवल चाँदनी पर देखो!

स्याह  रात का पर्दा लगाया।


बसंत में पल्लवित पौधे को 

बुहार अग्नि पुष्प खिलाए 

नदियों को तितर-बितर कर 

साज़िश से समंदर को सुखाया।


 एकाधिकार की कसौटी पर

 मनमाने व्यवहार से जीवन कसा 

 ज़िद स्वभाव की चटकनी से जड़ी 

 मुख्य-द्वार पर देखो! भविष्य टँगवाया।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

38 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    विचारों की गहन वेदना।

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  2. मर्मस्पर्शी रचना।

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.02.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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    1. सादर आभार सर मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  4. एकाधिकार की कसौटी पर

    मनमाने व्यवहार से जीवन कसा

    बेहतरीन...

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2036...कुछ देर जागकर हम आज भी सो रहे हैं...) पर गुरुवार 11 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  6. आत्मभाव से जकड़ी हथेलियाँ

    आपबीती अक्षर बन बिखरी

    अवंतस के लूटने का प्रमाण

    पक्षियों का स्वर बन चहचहाया।..बहुत सुन्दर, भावप्रवण..मन को छू गई..

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    उत्तर
    1. दिल से आभार आदरणीय जिज्ञासा जी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  7. पूरे जीवन का वैचारिक मंथन करती गहन अभिव्यक्ति।
    अप्रतिम सुंदर।

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    1. दिल से आभार आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  8. हमेशा की तरह मर्मस्पर्शी व भावपूर्ण लेखन गहरा असर छोड़ती हुई नमन सह आदरणीया। एकाधिकार की कसौटी पर

    मनमाने व्यवहार से जीवन कसा

    ज़िद स्वभाव की चटकनी से जड़ी

    मुख्य-द्वार पर देखो! भविष्य टँगवाया।


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    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  9. चिंतनपरक गहन भावाभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मीना दी।
      सादर

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  10. जीवन की ऊहापोह का सटीक चित्रण

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अनीता जी।
      सादर

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  11. जो बिखरे हुए अक्षर दिखते हैं वो अथाह गहराई को समेटे होते हैं और भाव डुबकी लगवाते हैं । ऐसा ही कुछ है ...

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    उत्तर
    1. दिल से आभार प्रिय अमृता जी मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  12. उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

      हटाएं
  13. अहं पँखों पर सवार हो आया
    तारों की कतार ज्योति को बुझाया
    चाँद की धवल चाँदनी पर देखो!
    स्याह रात का पर्दा लगाया।

    वाह... बहुत ख़ूब

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय वर्षा दी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  14. वाह!प्रिय अनीता ,बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।

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    1. दिल से आभार प्रिय शुभा दी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  15. विभिन्न उपमाओं से जुड़ी अच्छे विषय को ले कर लिखी अच्छी रचना है ...

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

      हटाएं
  16. एकाकीपन में डूबी चुप्पी

    शब्द तलाश ही रही थी कि

    अचानक चोट खाया वर्तमान

    हृदय से लिपटकर रोया। ----- बहुत बहुत सराहनीय

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय आलोक जी सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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