श्याम श्याम राधे कहे
श्याम रंग शृंगार।
श्याम रंग ने ठग लिया
जोगन कह संसार।।
श्याम रंग का लहरिया
स्याह प्रीत परिधान।
मोह साँवले ने लिया
बने श्याम अभिमान।।
मनमोहन मन में बसे
मन बहोत अनमोल।
मुरलीधर मन को हरे
नहीं प्रीत का मोल।।
छलिया छल की कोठरी
मायावी है नाम।
कान्हा कान्हा जग कहे
मीरा के हैं श्याम।।
सुख-समृद्धि जग खोजता
मिला न सुख का छोर।
जिस मन में कान्हा बसे
थामे सुख की डोर ।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा सर आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।
हटाएंसादर
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुज।
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बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय सर।
हटाएंसादर
श्याम रंग में रंगे अति सुन्दर दोहे ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मीना दी।
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 22-03 -2021 ) को पत्थर से करना नहीं, कोई भी फरियाद (चर्चा अंक 4013) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
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वाह!प्रिय अनीता ,बहुत खूबसूरत सृजन ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार प्रिय शुभा दीदी जी।
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बहुत सुंदर दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
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कान्हा के दोहों ने सच ही मन मोह लिया ।सुंदर दोहे ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय संगीता दी जी।
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बहुत सुंदर दोहें
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय पम्मी जी।
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वाह बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर।
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कान्हा जैसे सुंदर और मनभावन दोहे, आपको हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय जिज्ञासा दी जी मनोबल बढ़ाने हेतु।
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बहुत सुंदर और सरल दोहे। सार्धक और बढ़िया सृजन के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
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दिव्य भावों को प्रगट करती बहुत सुन्दर रचना - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।
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बहुत ही खूबसूरत दोहे, श्याम रंग रंगा रे, मन ये मेरा रे, श्याम रंग में रंगी हुई रचना , बहुत ही प्यारी, शुभ प्रभात अनीता बधाई हो
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ ज्योति बहन।
हटाएंस्नेह यों ही बन रहे।
सादर
अति सुन्दर एवं मनभावन ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय अमृता दी जी।
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कान्हा और होली का ज़िक्र न हो ...
जवाब देंहटाएंहर रँग को इन पंक्तियों में कान्हा के संग उतारा है आपने ...
श्याम रँग लगते ही चित श्याम हो जाता है ...
सहृदय आभार आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।
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सुख-समृद्धि जग खोजता
जवाब देंहटाएंमिला न सुख का छोर।
जिस मन में कान्हा बसे
थामे सुख की डोर ।।
वाह!!!
कान्हा की लीला और भक्ति से परिपूर्ण लाजवाब दोहे।
दिल से आभार सुधा दी जी
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बहुत बहुत सुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर।
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