कुछ पल ठहर पथिक
डगर कठिन है गंतव्य दूर तेरा।
सिक्कों की खनक शोहरत की चमक छोड़
मन को दे कुछ पल विश्राम तुम
न दौड़ बेसुध, पथ अंगारों-सा जलता है
मृगतृष्णा न जगा बेचैनी दौड़ाएगी
धीरज धर राह शीतल हो जाएगी।
कुछ पल ठहर पथिक
डगर कठिन है गंतव्य दूर तेरा।
छँट जाएँगे बादल काल के
काला कोहरा पक्षी बन उड़ जाएगा
देख! घटाएँ उमड़-घुमड़कर आएँगीं
शीतल जल बरसाएगी बरखा-रानी
जोहड़ ताल-तलैया नहर-नदियाँ भर जाएँगीं।
कुछ पल ठहर पथिक
डगर कठिन है गंतव्य दूर तेरा।
घायल हैं मुरझाए हैं उलझन में हैं सुमन
देख! डालिया फूल पत्तों से लद जाएगी
धरा के आँचल पर लहराएगा लहरिया
सावन-भादों न बना नयनों को हिम्मत रख
अंतस में नवाँकुर प्रीत के खिलजाएँगे।
कुछ पल ठहर पथिक
डगर कठिन है गंतव्य दूर तेरा।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
कुछ पल ठहर पति .....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव सृजन। संदेशपरक रचना। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया अनीता सैनी जी। ।।।।
बहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसादर
आपने ठीक कहा अनीता जी। निरंतर दौड़ते चले जाने से उत्तम है मध्य में कुछ पल ठहरना और अपने तन के साथ-साथ मन को भी विश्राम देना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसादर
सावन-भादों न बना नयनों को हिम्मत रख
जवाब देंहटाएंअंतस में नवाँकुर प्रीत के खिलजाएगे।
धैर्य धारण करने की प्रेरणा देता सुंदर सृजन प्रिय अनीता
दिल से आभार आदरणीय दी।
हटाएंसादर
जीवन की राह में कुछ पलों को रुक जाना लम्बे समय को आसानी से पार कर लेना भी है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना है ...
दिल से आभार आदरणीय सर।
हटाएंसादर
सही लिखा है जब मन भ्रमित होकर बेबजह दौड़ता है तो कुछ पल रुक कर आगे का लक्ष्य निर्धारित करना श्रेष्ठ कर होता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक सृजन।
आशाके दरीचे खोलता सा ।
दिल से आभार आदरणीय दी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
कुछ पल ठहर पथिक
जवाब देंहटाएंडगर कठिन है गंतव्य दूर तेरा।
बेहतरीन रचना सखी।
आभारी हूँ सखी।
हटाएंसादर
कुछ पल ठहर पथिक
जवाब देंहटाएंडगर कठिन है गंतव्य दूर तेरा।
जीवन की धूप-छाँव को उकेरता सुन्दर शब्दचित्र अनीता जी!
दिल से आभार आदरणीय मीना दी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
सही कहा आपने ,थोड़ा ठहरने से मंजिल के बारे में सही सटीक वस्तु स्थिति का पता लगेगा और मंजिल आसानी से मिल जाएगी । सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय जिज्ञासा दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएं--
श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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मित्रों पिछले तीन दिनों से मेरी तबियत ठीक नहीं है।
खुुद को कमरे में कैद कर रखा है।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 25-04-2021) को
"धुआँ धुआँ सा आसमाँ क्यूँ है" (चर्चा अंक- 4047) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
कृपया शुक्रवार के स्थान पर रविवार पढ़े । धन्यवाद.
हटाएंदिल से आभार आदरणीय मीना दी।
हटाएंआभारी हूँ।
सादर
दिल को छूती बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ ज्योति बहन।
हटाएंसादर
छँट जाएँगे बादल काल के
जवाब देंहटाएंकाला कोहरा पक्षी बन उड़ जाएगा
देख! घटाएँ उमड़-घुमड़कर आएँगीं
शीतल जल बरसाएगी बरखा-रानी
आँधी कोहरे अँधेरे तूफानों से भरे जीवन से डर कर भागना उचित नहीं....समय हमेशा एक समान नहीं रहता..कुछ पल बाद सब बदलना है...परिवर्तन प्रकृति का नियम जो है...जीवन पथ पर चलने वाले हे मन पथिक थोड़ा ठहर ये अंधेरा छटने वाला है...और पुनः सब ठीक हो जायेगा.. विपरीत समय में मन को ढ़ाँढस बंधाती सुन्दर कृति हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं अनीता जी!
दिल से आभार आदरणीय सुधा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु। स्नेह बनाए रखे।
हटाएंसादर
जीवन की कठिन राह में पल दो पल का विश्राम यात्रा को सरल बना देता है, सुंदर सृजन !
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंसादर
कुछ पल ठहर पथिक
जवाब देंहटाएंडगर कठिन है गंतव्य दूर तेरा।
Bilkul sahi farmaya hai
Dhairya dharan karne wala vyakti Jivan Me Safal Hota Hai
Ek behtarin Rachna aadarniy Anita ji
आभारी हूँ आदरणीय सर।
हटाएंसादर
आस कुसुम से पल्लवित-पुष्पित अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय दी।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर