राजस्थानी बोली में नवगीत
पोळी ओटाँ गूँथू स्वप्ना
चूड़लो पाट उलझावे है
सांकळ जइया मनड़ो खुड़को
याद घणी थांरी आवे है।।
महंदी रोळी काजल टिकी
करे बिती बातां ऐ थांरी
बोली बोलय लोग घणेरा
तुम्ब जईया लागे खारी
बाट जोवता जीवन बित्यो
हिवड़लो थाने बुलावे है।।
पैंडे माही टूटी गगरी
हाथा में ढकणी रहगी सा
खूँटी पर ईढ़ानी उलझी
पाणी कंईया लाऊँ सा
घड़ले ऊपर घड़लो ऊंचो
पणिहारी बात बणावे है।।
बारह मास स थे घर आया
दो सावण दो जेठ बताया
आभा गरजी न मेह बरसो
प्रीत फूल मन का मुरझाया
धीरज धर बाता में उलझी
ढ़लतोड़ी साँझ रुलावे है।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
खूँटी पर ईढ़ानी उलझी
जवाब देंहटाएंपाणी कंईया लाऊँ सा
घड़ले ऊपर घड़लो लाई
पणिहारी बात बणावे है।।
आंचलिकता की महक में डूबा उपालम्भ भाव लिए मनमोहक गीत। अत्यंत सुन्दर सृजन ।
सादर आभार आदरणीय मीना दी सृजन सार्थक हूआ सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया मिली।
हटाएंसादर स्नेह।
बहुत ख़ूब अनीता जी । राजस्थानी भाषा ही नहीं, राजस्थानी संस्कृति की भी महक है इस गीत में ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय जितेंद्र जी कोशिश मैंने भी यही की।
हटाएंसारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु सहृदय आभार।
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-04-2021) को "आओ कोरोना का टीका लगवाएँ" (चर्चा अंक-4029) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। परन्तु प्रसन्नता की बात यह है कि ब्लॉग अब भी लिखे जा रहे हैं और नये ब्लॉगों का सृजन भी हो रहा है।आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
क्षमा सहित ... कुछ ज्यादा समझ नहीं पाई ... कुछ विरह की अभिव्यक्ति लग रही है ...
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी आपने जितना भी समझा सराहनीय है। सृजन सार्थक हूआ। शायद भावार्थ करना थोड़ा कठीन रहेगा फिर भी समय मिलते ही करती हूँ।
हटाएंयह आँचलिकता में ढला नवगीत है जो वही औरत समझ सकती है जिसने ऐसा जीवन जीया है। बदलते परिवेश में कुछ प्रतिकों को सहेजने का प्रयास किया।
सादर नमस्कार दी ।
बीन इंडि दो दो मटके लाना कष्ट दाय होता है परंतु समझो तुम अर्धनारिश्वर हो ।जीवन भार ढोना है।
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ कह गया तुम्हारा गीत। जीवन भर का संघर्ष समेट दिया कहती हो कुछ नहीं। जैसे भोवो का लौटा हाथों से छूटा हो।
बहुत बहुत बहुत सुंदर।
ख़ुश रहा करो।
जी बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंबहुत सुंदर भाव , जीवन वृतांत का दर्शन हुआ, कुछ भाषा के कारण समझने में समस्या आयी लेकिन बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसृजन सार्थक हूआ।
सादर
ऐसा गेय गीत जिसका भाव बस हृदय ग्रहण कर गा रहा है । अपने ही धुन में । सुखद अनुभूति हो रही है । बहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय अमृता दी जी।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
बहुत ही सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय अभिलाषा दी जी।
हटाएंसादर
मुझे अब महसूस हो रहा है कि आपके सानिध्य में हमें राजस्थानी सीख ही लेनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंसुन्दर मनभावन रचना।
क्यों नहीं सर जरुर।
हटाएंमनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु सहृदय आभार आदरणीय सर।
सादर
बहुत सुन्दर लोक गीत |
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर।
हटाएंओल्यूं याने याद,
जवाब देंहटाएंविरह श्रृंगार की अनुपम छटा बिखेरता सृजन।
राजस्थान की लोक भाषा के गीत जितने मीठे होते हैं उतने ही हृदय स्पर्शी भी।
नायिका जो पति से दूर हैं और हर कलाप में पति का पास न होना उन्हें व्यथित कर रहा हैंअपनी व्यथा को नायिका ने बहुत अभिनव व्यजंनाओं द्वारा
,व्यक्त किया है।
जो सीधे हृदय में उतरते उदगार हैं ।
इतने सुंदर गीत के लिए बहुत बहुत बधाई आपको अनिता।
अप्रतिम "सोणों"
घणी चोखी प्रतिक्रिया है थारी कुसुम दी। नवगीत क चार चाँद लगा दिया।
हटाएंदिल स घणों-घणों आभार थाने।
थारो प्यार आशीर्वाद यूँ ही मिलतो रह।
सादर
वाह बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर।
हटाएंवाह!प्रिय अनीता ,हमारी राजस्थानी बहुत मधुर ,मीठी ,जाणें गुड री डणी ..। बहुत सुंदर सृजन । बाट जोहते-जोहते जीवन बीता जा रहा है ,सामिप्य की झ़ंखना है हृदय में ,बहुत सुंदर चित्रण सखी ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार प्रिय शुभा दी जी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
अनीता जी,माफ करिएगा,पर सबकी प्रतिक्रियाओं से रचना का भाव समझने की कोशिश की है, सुन्दर भाव प्रवण गीत के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय दी...अत्यंत हर्ष हूआ।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर प्रणाम