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गुरुवार, जुलाई 22

ऋतु सुवहानी सावण की



बोल कोयलड़ी मीठा बोल्य
ऋतु सुहावनी सावण की।
झड़ी लागी है चौमास की
आहट पाहुन आवण की।।

हरी चुनरिया ओढ़ी धरती
घूम घटायाँ घाल्य घेर
चपला गरजती बाड़ा डोल्य
चूळा फूंक हुई अबेर
डाळी जईया झूम जिवड़ो 
पूर्वा पून सतावण की।। 

अंबर छाई बदरी काली
गोखा चढ़ी उजली धूप
पुरवाई झाला दे बुलाव 
फूल-पता रो निखर रूप
 नाचे पंख पसार मोरनी
 हूक उठी है गांवण की।।

बाग-बगीचा झूल्या पड़ ग्या 
कुआँ ऊपर गूँजे गीत
कसूमल कली पुष्प लहराय
मेह छींटा छिटके प्रीत
गिगनार चढ़ो चाँद ताकतो
मनसा नींद चुरावण की।।

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

42 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (23-07-2021) को "इंद्र-धनुष जो स्वर्ग-सेतु-सा वृक्षों के शिखरों पर है" (चर्चा अंक- 4134) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद सहित।

    "मीना भारद्वाज"

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मीना दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  2. खूबसूरत पंक्तियाँ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नितीश जी।
      सादर

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  3. बहुत सुंदर और मधुर सृजन। आपको बधाई और शुभकामनायें।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय वीरेंद्र जी।
      सादर

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    1. आभारी हूँ आदरणीय ओंकार जी सर।
      सादर

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  5. राजस्थानी भाषा में लिखी बहुत ही सुंदर सृजन अनीता जी

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  6. आज का गीत काफी हद तक समझ आ गया । बहुत मधुर लगा । सावन का पूरा परिदृश्य दिख रहा है इस गीत में ।
    गाने की जो हूक उठी है तो गा कर ऑडियो भी शेयर कीजिये । आनंद आ जायेगा ।

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    1. आभारी हूँ आदरणीया संगीता दी जी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।मैं भी इसी विचार पर अटकी हूँ सोचती हूँ क्यों न अब गाया जाया 😊
      अत्यंत हर्ष हुआ आपने मारवाड़ी नवगीत पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज़ की।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर नमस्कार दी।

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  7. बाग-बगीचा झूल्या पड़ ग्या
    कुआँ ऊपर गूँजे गीत
    कसूमल कली पुष्प लहराय
    मेह छींटा छिटके प्रीत
    गिगनार चढ़ो चाँद ताकतो
    मनसा नींद चुरावण की।।
    बहुत सुन्दर स्वागत सावन का !!

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    1. आभारी हूँ आदरणीया अनुपमा दी जी
      सादर

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  8. सावन के पावन पर्व की आपको तथा आपके परिवार को ढेरों शुभकामनाएं

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  9. बहुत सुंदर ,मधुर गीत,भाषा तो नही समझी, पर भाव बहुत सुंदर लगा ।

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    1. आभारी हूँ जिज्ञासा दी जी स्नेह बनाए रखे।
      सादर

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  10. उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय सर।
      सादर नमस्कार।

      हटाएं
  11. बाग-बगीचा झूल्या पड़ ग्या
    कुआँ ऊपर गूँजे गीत
    कसूमल कली पुष्प लहराय
    मेह छींटा छिटके प्रीत
    गिगनार चढ़ो चाँद ताकतो
    मनसा नींद चुरावण की।।


    सुन्दर प्रेम गीत....

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    1. आभारी हूँ विकास जी सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  12. गीत कोयलड़ी सोणा रचती, पढ़ने मन उच्छाह घणों
    सावन बरसे रात कोयलड़ी, ओ मधुरो हो माह घणों।
    बहुत सुंदर श्रृंगार रचना, मारवाड़ी लोक गीत सा मधुर सरस।

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    1. घणों घणों आभार थान्य कोयलड़ी रो गीत घणों चोखो लाग्या।
      सांची बोल्या थे..सावन बरसे रात कोयलड़ी, ओ मधुरो हो माह घणों।
      थारो आशीर्वाद घणों अनमोल है मारे लिए आता-जाता रहियो ब्लॉग पर।
      राम-राम

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  13. रिमझिम बरसते सावन की बात ही निराली है
    बहुत सुन्दर चित्रण

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    1. दिल से आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
      सादर

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  14. सावन माह की तो बात ही कुछ और है। राजस्थानी संस्कृति में चौमासे की ऋतु, सावन के झूलों, मोर-मोरनी के गायन एवं नृत्य आदि की जो सुंदरता वर्णित एवं गुंजित होती है, वह सबसे निराली है। राजस्थानी मिट्टी की सुगंध में पगे आपके गीत ने सावन की फुहारों की अनुभूति करवा दी तथा मन को आह्लाद से भर दिया। आभार एवं अभिनंदन आपका।

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    1. आभारी हूँ सर आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हूँ।
      सादर नमस्कार 🙏

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  15. अरे वाह .. बहुत सुंदर सावन के झूले और बाग बगीचों का सजीव चित्रण करता शानदार गीत ...

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ दी आपकी प्रतिक्रिया मिली सृजन सार्थक हुआ।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर नमस्कार।

      हटाएं
  16. मिट्टी की महक भरा बहुत सुन्दर गीत अनीता !

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    1. सादर आभार आदरणीय सर आपका आशीर्वाद अनमोल है मेरे लिए।
      सादर प्रणाम

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  17. वाह!प्रिय अनीता ,संपूर्ण दृश्य आँखोँ के समक्ष रील की तयह दृष्टिगोचर हो गया । बहुत खूबसूरत !

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    1. दिल से आभार प्रिय शुभा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  18. भाव के साथ चुने एक-एक शब्द बहुत सुंदर है। लोग भूलने लगे हैं स्थानीय शब्द....
    अंबर छाई बदरी काली
    गोखा चढ़ी उजली धूप
    पुरवाई झाला दे बुलाव
    फूल-पता रो निखर रूप
    नाचे पंख पसार मोरनी
    हूक उठी है गांवण की.. बहुत सुंदर।

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    1. आभारी हूँ सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया मिली।
      सादर

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  19. उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय जोशी जी सर।
      सादर नमस्कार।

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  20. आप तो आंचलिक बयार में खो गई हैं ...
    बहुत सुन्दर रचनाएं आ रही हैं आज कल ... मिठास से भरपूर ...

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    उत्तर
    1. संबल प्रदान करती आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ आदरणीय नासवा जी सर।
      बहुत बहुत शुक्रिया।
      सादर

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  21. मारवाड़ी भाषा में लिखा आपका सावन गीत बहुत ही सरस है अनीता जी!
    लयबद्ध सुन्दर गीत हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं

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    उत्तर
    1. अत्यंत हर्ष हुआ आदरणीय सुधा दी जी मनोबल बढ़ाती आपकी प्रतिक्रिया मिली।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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