अमृत कलश से छलकती
अमृत्व के लिबास में लिपटी
किसी की धड़कन तो किसी की
सांसें बन जीवन में डोलती
धरा के नयनों से उतर
कपोलों से लुढ़ककर बोलती
मिट्टी के कण-कण को बींधती
जिजीविषा की कहानी गढ़ती
साँवली सूरत सन्नाटा ओढ़े
थकती न हारती मंद-मंद मुस्कुराती
चराचर के बीचोबीच पालथी मार बैठी
ऐसे ही एक संघर्ष की बूँद को
मैंने अमृतपान करते देखा।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
थकती न हारती मंद-मंद मुस्कुराती
जवाब देंहटाएंजीवन के बीचोबीच पालथी मार बैठी
ऐसे ही एक संघर्ष की बूँद को
मैंने अमृतपान करते देखा।
वाह !! बहुत खूब !! जीजिविषा का संचार करती मनोहारी कृति ।
आभारी हूँ आदरणीया मीना दी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
एक बूंद का संघर्ष और उत्कर्ष दोनों को सुंदरता से सहेजा है आपने छोटी सी रचना में बहुत कुछ कह दिया।
अभिनव अभिव्यक्ति।
आभारी हूँ प्रिय कुसुम दी सारगर्भित हेतु।
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।
स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
बूँद की विजय गाथा, बहुत सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीया अनुपमा मैम मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय आलोक सर जी।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीया अनुराधा जी।
हटाएंसादर
सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय जोशी जी सर।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
थकती न हारती मंद-मंद मुस्कुराती
जवाब देंहटाएंचराचर के बीचोबीच पालथी मार बैठी
ऐसे ही एक संघर्ष की बूँद को
मैंने अमृतपान करते देखा।
संघर्ष की बूँद का अमृतपान... मेहनत का फल
बहुत ही लाजवाब सृजन
वाह!!!
आभारी हूँ आदरणीया सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
हटाएंस्नेह बनाए रखे।
सादर
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (09-07-2021) को "सावन की है छटा निराली" (चर्चा अंक- 4120) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
सादर नमस्कार आदरणीय मीना दी।
हटाएंदिल से आभार मुझे मंच पर स्थान देने हेतु।
सादर
मैंने अमृतपान करते देखा।
जवाब देंहटाएंसंघर्ष की बूँद का अमृतपान..
लाजबाब सृजन.... प्रिय अनीता
आभारी हूँ आदरणीय कामिनी जी।
हटाएंसादर
संघर्ष की बूंद का अमृतपान
जवाब देंहटाएंऔर फिर जब कोई संघर्ष कर तो फल मीठा ही होगा ।
सुंदर रचना
आभारी हूँ आदरणीया संगीता स्वरुप जी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
संघर्ष की बूँद को मैंने अमृतपान करते देखा''
जवाब देंहटाएंक्या बात है, अति सुंदर
आभारी हूँ सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर