बदळी गरजी मेह न बरसो
घाम घूमतो फिरे गळी
तेज़ ताप-स्यूँ तपती काया
जिवड़ो जोवे छाँव भळी।।
रीत प्रीत रा झूलस्या पग
आभे ज्वाला बरस रही
बेला बूटा बाजर सुख्या
मूँग-मोठ ने चैन नही
पावस बाट जोवता हलधर
कठ रुठ्यो तू इंद्र बळी।।
तारा ढळती रात सोवणी
मरु धरा री धधके गोद
सूनी खाटा उड़ती माट्टी
पाखी पाणी खोज्य होद
ताल-तलैया रित्या पोखर
नीर वाहिनी रूठ चळी।।
हूँक हुँकारे पपयो पी की
कोयल मीठा बोल्य बोळ
नाचे पंख पसार मोरनी
सावण भादु है अणमोळ
बादळ बदळे वेश घणेरा
सब के मन में आस पळी।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
वर्तमान की पीड़ा को दर्शाती सुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय सर।
हटाएंसादर
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंसादर
ग्रीष्मकालीन परिदृश्य को उकेरता सावन-भादौ की बरसात की प्रतीक्षा करते जीव जगत के मनोभावों को उकेरता भावसिक्त सृजन
जवाब देंहटाएंअनीता जी ।बहुत बहुत बधाई आपको सुन्दर सृजन हेतु ।
आभारी हूँ आदरणीय मीना दी जी सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर नमस्कार।
जवाब देंहटाएंहूँक हुँकारे पपयो पी की
कोयल मीठा बोल्य बोल्य
नाचे पंख पसार मोरनी
सावण भादु है अनमोल
बादल बदले वेश घनेरा
सब के मन में आस पली।।.. समझते समझते पूरी रचना समझ गई,सावन का बहुत सुंदर भावपूर्ण वर्णन,अनीता जी, आपको मेरी बहुत शुभकामनाएं।
आभारी हूँ आदरणीय जिज्ञासा दी जी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से सृजन को प्रवाह मिला।
हटाएंसादर
आपकी राजस्थानी भाषा में रचित काव्य रचनाएं अद्भुत होती हैं अनीता जी। हृदय विजित कर लेने वाला गीत है यह्।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मुझे संबल प्रदान करती है।
हटाएंसादर
सावन का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है आपने अनिता।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय ज्योति दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
बालकवि बैरागी जैसे सुन्दर राजस्थानी गीत लिखती हो तुम अनीता.
जवाब देंहटाएंफ़िल्म 'रेशमा और शेरा' का गीत -
'तू चंदा मैं चांदनी, तू तरुवर मैं पाख रे ---'
याद आ गया.
निशब्द रह जाती हूँ सर आपका आशीर्वाद मिला।
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया से सबल मिला।
सादर
आशान्वित हैं सावन बरसेगा ज़रूर !!सुंदर रचना बधाई एवं शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय अनुपमा जी प्रतिक्रिया से उत्साह मिला।
हटाएंसादर आभार
वाह!प्रिय अनीता ,बहुत सुंदर 👌
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी।
हटाएंआपका स्नेह आशीर्वाद यों ही बना रहे।
सादर
तपती मरुधरा पर बादल आँख मिचौली करते हैं,
जवाब देंहटाएंआते हैं बरसते नही,तपन से व्याकुल जीव जंतु और बरसात के आगमन की प्रतीक्षा प्यास बन जाती है।
वाह! बहुत बहुत सुंदर हृदय स्पर्शी अलंकारों से सुशोभित सुंदर शब्द चित्र।
बादली ऐ म्हारी बैनड़ी आय बरस म्हारे देश।
आपका ममतामयी रुप आँखों में बन गया।शब्दों में अपार स्नेह संबल प्रदान करता है यों ही स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे। आज थारी सुन ली बदरी बरसी जयपुर में।
हटाएंआपके लिए कुछ लिखा है अवश्य पढ़े 🙏
https://www.gungigudiya.com/2021/07/blog-post_11.html?m=1
बहुत सुंदर।🌼
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुज।
हटाएंसादर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15-07-2021को चर्चा – 4,126 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
बहुत बहुत शुक्रिया सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
बहुत बढियां
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीया अमृता दी जी।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर