भरे भादवों बळ मन माही
बैरी घाम झुलसाव है
बदल बादली भेष घणेरा
अंबरा चीर लुटाव है।।
उखड़ो-उखड़ो खड़ो बाजरो
ओ जी उलझा मूँग-ग्वार
हरा काचरा सुकण पड़ग्या
ओल्या-छाना करे क्वार
सीटा सिर पर पगड़ी बांध्या
दाँत निपोर हर्षाव है।।
हाथ-हथेली बजाव हलधर
छेड़े रागनी नित नई
गीत सोवणा गाव गौरया
हिवड़े उठे फुहार कई
आली-सीली डोल्य किरण्या
समीरण लाड लडाव है।।
सुख बेला बरसाती आई
कुठलो काजल डाल रयो
मेडा पार लजायो मनड़ो
होळ्या-होळ्या चाल रयो
ठंडी साँस भरे पुरवाई
झूला पात झूलाव है।।