तपती बालुका पर दौड़ती लू
फफोलों को पाँव से हटाती है
पदचाप धोरे दामन से मिटाती
सूरज बादलों से ढकती है।
मरुस्थल के मौन को तोड़ती
कहानियों के पन्ने झोंके संग पलटती है
पीठ पर लादे गोबर के कंडे
हिय के संताप से झुलसाती है।
कोई टीस उठी होगी हृदय में
पलकों को खारे पानी से धोती है
सूखे पत्तों-सी झरती साँसें उठाए
धूप में गगरी उम्मीद की भरने निकलती है।
अश्रुभार गले में मुक्ताहार
स्वछंदता की ओढ़नी ओढ़ा करती है
वर्तमान की पूरती चौकी आटे से
सकारात्मकता का पाठ पढ़ाती है।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 15 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंसादर
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसादर
वाह,बहुत ही सुंदर।
जवाब देंहटाएं🌼♥️
आभारी हूँ अनुज।
हटाएंसादर
मरुस्थल के मौन को तोड़ती
जवाब देंहटाएंकहानियों के पन्ने झोंके संग पलटती है
पीठ पर लादे गोबर के कंडे
हिय के संताप से झुलसाती है।
मरुभूमि में चलती तप्त हवा 'लू' का मानवीकरण...अत्यंत सुन्दर और हृदयस्पर्शी सृजन ।
दिल सें आभार आदरणीया मीना दी उत्साहवर्धन हेतु।
हटाएंसादर
लू भी कितने पाठ पढ़ा जाती है , ये तो आज ही पता चला । सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीया संगीता दी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा आपने सही कहा प्रकृति का प्रत्येक रुप कुछ न कुछ सीख अवश्य देता है हमारे एहसास पर है।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
वाह बेहतरीन रचना सखी।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सखी।
हटाएंसादर
बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शी रचना!
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं मैम!आपकी जिंदगी जितनी लंबी उससे कहीं ज्यादा बड़ी हो और आप कामयाबी की नई बुलंदियों तक पहुंचे !आप हमेशा खुश और मुस्कुराती रहे!आपके जीवन में कभी भी प्यार और अपनेपन की कमी ना हो हमेशा अपनों का साथ बना रहे!
आभारी हूँ प्रिय मनीषा।
हटाएंसादर
बहुत सुंदर। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। आप हमेशा खुश रहे।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ ज्योति बहन।
हटाएंसादर
वाह!प्रिय अनीता ,सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी।
हटाएंसादर
बहुत ही अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंजीवन भी एक मरुस्थल है, पर हमें चलना होगा।
आभारी हूँ आदरणीय वंदना जी।
हटाएंसादर
जीवन की सीख कहां से किस रूप में मिल जाय,एक कवि मन ही समझ सकता ।सुंदर भावों भरी रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जिज्ञासा जी।
हटाएंसादर
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसादर
ये लू ही है या उसके माध्यम से दिल की व्यथा को स्पर्श किया है ... पर हर थपेड़ा विविध होता है बहुत कुछ अनकहे कह जाता है ...
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय नासवा जी सर।
हटाएंसच लू ही है 😊
आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मेरा संबल बढ़ाती हैं।
सादर