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शनिवार, अगस्त 21

आज


 हवाओं में छटपटाहट

धूप में अकुलाहट है 

व्यक्त-अव्यक्त से उलझता

आशंकाओं  का ज्वार है।


तर्क-वितर्क के

 उखड़े-उखड़े चेहरे हैं 

कतारबद्ध उद्गार ढोती विनतियाँ  

आस को ताकता अंबर है।


पलकों से लुढ़कते प्रश्न

मचाया विचारों ने कोहराम है 

अभिमान आँखों से झरता 

कैसा मानवता का तिरस्कार है?


ज़ुकाम के ज़िक्र पर जलसा

खाँसने पर उठता बवाल है 

चुप्पी के कँपकपाते होंठ 

सजता नसीहत का बाज़ार है!


पुकारती इंसानीयत

पाषाण लगाते गुहार हैं

मूर्छित मिट्टी रौंदते अहं के पाँव 

स्वार्थ की रस्सी से बँधे विश्व के हाथ हैं!


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

28 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावप्रवण प्रस्तुति।

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  2. सम सामायिक ,बहुत सुंदर रचना |

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-8-21) को "भावनाओं से हैं बँधें, सम्बन्धों के तार"(चर्चा अंक- 4164) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। आप सभी को रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ कामिनी जी मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  4. सब मूक - बधिर हो रहे । मन में आक्रोश है लेकिन कुछ बोल नहीं रहे ।
    बेहतरीन रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनीता।

    जवाब देंहटाएं
  6. सही कहा सचमुच ये आज कितना बदला बदला सा है
    ज़ुकाम के ज़िक्र पर जलसा

    खाँसने पर उठता बवाल है

    चुप्पी के कँपकपाते होंठ

    सजता नसीहत का बाज़ार है
    जुकाम जैसी आम समस्या पर आज इतना बबाल मच रहा है
    बहुत ही सुन्दर...
    लाजवाब सृजन।

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  7. पुकारती इंसानियत
    पाषाण लगाते गुहार हैं
    मूर्छित मिट्टी रौंदते अहं के पाँव
    रस्सी से बँधे विश्व के हाथ हैं!
    समसामयिक विषम परिस्थितियों पर गहनता लिए हृदयस्पर्शी रचना ।

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  8. तर्क वितर्क ही तो सल द्वन्द है मन का ...
    इसके भाहर नहीं आ पाता मन ... उत्तर तलाशता है कई अनसुलझे भावों का और जो जरूरी भी है ... सत्य जान्ने के लिए ...

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नासवा जी सर।
      दो वर्षो से हो क्या रहा है सब समझ से परे है।
      मासूम बच्चे स्त्रियाँ अफगानिस्तान की हालत....
      कहने में अक्षम हूँ।
      सादर

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  9. आज व्याप्त विसंगतियों का बहुत ही मार्मिक चित्रण करती गहन भाव,और समृद्ध शब्द रचना।
    हृदय स्पर्शी रचना।
    अभिनव सृजन।

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीया कुसुम दी जी।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर प्रणाम

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  10. वाह जी वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  11. यथार्थ पर तीक्ष्ण दृष्टि डालती गहन रचना, बहुत बहुत बधाई अनीता जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय जिज्ञासा दी आपकी प्रतिक्रिया मिली सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  12. उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर।
      सादर प्रणाम।

      हटाएं