विश्वास के मुट्ठीभर दाने
छिटके हैं समय की रेत पर
गढ़े हैं धैर्य के छोटे-छोटे धोरे
निष्ठित जल से सींचती है प्रभात।
सूरज के तेज ने टहनियों पर
टाँगा है दायित्त्व भार
चाँदनी के झरते रेशमी तार
चाँद ने गढ़ा सुरक्षा का सुनहरा जाल।
ज़िम्मेदारियों का अँगोछा
कंधों पर डाल
खुरपी से हटाया है
हवाओं ने खरपतवार।
थकान के थकते पदचाप
दुपहरी में ढूँढ़ते शीतल छाँव
भावों की बल्लरियों पर
लताओं ने बिछाया है बिछौना।
धूप दहलीज़ पर बैठ
दिनभर करती है रखवाली
अँकुरित कोपलों की हथेली में
खिलने लगे हैं सुर्ख़ फूल।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (27-08-2021) को "अँकुरित कोपलों की हथेली में खिलने लगे हैं सुर्ख़ फूल" (चर्चा अंक- 4169) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
आभारी हूँ आदरणीय मीना दी मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
बहुत ही सुंदर हर शब्द।
जवाब देंहटाएंविश्वास के मुट्ठीभर दानो को संभाल कर रखा बहुत बहुत शुक्रिया।
आभारी हूँ आपको सृजन पसंद आया।
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 26 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी दैनिक सांध्य पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
मनोभावों का बेहतरीन संगम,
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दावली।
आभारी हूँ सर आपका आशीर्वाद मिला।
हटाएंसादर
विश्वास के मुट्ठीभर दाने
जवाब देंहटाएंछिटके हैं समय की रेत पर
भावों की बूँदों से सींचते रहना होगा इन्हें समय की रेत का कब हवा संग चलती बने
और मुट्ठी भर दानों के विश्वास की आशतड़पती रह जाय...
अद्भुत शब्दसंयोजन...लाजवाब सृजन।
सच कहा आपने आदरणीय सुधा दी जी विश्वास को प्रेम के पानी से सिंचना होता है। उड़जाए वह विश्वास ही क्या ये छोटे छोटे झोंके अंकुरित करते विश्वास के पौधे को...। विश्लेषण करती प्रतिक्रिया हेतु दिल से अनेकानेक आभार।
हटाएंसादर
सुगठित शब्द संयोजन के साथ बेहतरीन भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय मीना दी आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाती है।
हटाएंसादर
आशा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती मनमोहक कृति ।सादर शुभकामनाएं अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय जिज्ञासा दी।
हटाएंसराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
सादर
बहुत सुंदर! दायित्वों के प्रति समर्पित भावों का अभिनव सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित रचना।
आभारी हूँ आदरणीय कुसुम दी जी।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
बहुत सुंदर, अटूट विश्वास को उजागर करती हुई खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय भारती जी।
हटाएंसृजन सार्थक हुआ आपकी प्रतिक्रिया से।
सादर
बहुत सुन्दर भाव और मनोरम शब्द-चयन !
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर आपका आशीर्वाद मिला।
हटाएंसादर प्रणाम
बहुत सुन्दर भाव एवं शब्द संयोजन
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी।
हटाएंसादर नमस्कार।
विश्वास के दानों को बिखेरती सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंदिल से आभार दी।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
behad sundar rachna vishwas ki geharayi bikherti hui.
जवाब देंहटाएंAbhar
दिल से आभार आपका...
हटाएंसादर
अद्भुत शब्द संयोजन के साथ सुंदर रचना, अनिता।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ज्योति बहन।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर सराहनीय
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय सर।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है। हमे उम्मीद है की आप आगे भी ऐसी ही जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे। हमने भी लोगो की मदद करने के लिए चोटी सी कोशिश की है। यह हमारी वैबसाइट है जिसमे हमने और हमारी टीम ने दिल्ली के बारे मे बताया है। और आगे भी इस Delhi Capital India वैबसाइट मे हम दिल्ली से संबन्धित जानकारी देते रहेंगे। आप हमारी मदद कर सकते है। हमारी इस वैबसाइट को एक बैकलिंक दे कर।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंसादर नमन
मन की भावना को सुंदर शब्दों में बाँधा है ।।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएँ