उस रोज़
घने कोहरे में
भोर की बेला में
सूरज से पहले
तुम से मिलने
आई थी मैं
लैंप पोस्ट के नीचे
तुम्हारे इंतज़ार में
घंटो बैठी रही
एहसास का गुलदस्ता
दिल में छिपाए
पहनी थी उमंग की जैकेट
विश्वास का मफलर
गले की गर्माहट बना
कुछ बेचैनी बाँटना
चाहती थी तुमसे
तुम नहीं आए
रश्मियों ने कहा तुम
निकल चुके हो
अनजान सफ़र पर।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार।
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (03-09-2021) को "बैसाखी पर चलते लोग" (चर्चा अंक- 4176) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
आभारी हूँ आदरणीय मीना दी मंच पर स्थान देने हेतु
हटाएंसादर
रश्मियों ने कहा तुम
जवाब देंहटाएंनिकल चुके हो
अनजान सफ़र पर।
सुंदर पंक्तियाँ,
सादर आभार अनुज।
हटाएंसादर
बहुत हृदय स्पर्शी! कुछ अलग सा एहसास।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
हार्दिक आभार आदरणीय कुसुम दी।
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ सितंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दी मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
बहुत खूबसूरत एहसास।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंसादर
ओह्ह...
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार दी।
हटाएंरश्मियों ने कहा तुम निकल चुके हो..
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी।
आभारी हूँ आदरणीय पम्मी दी।
हटाएंसादर
कुछ बेचैनी बाँटना
जवाब देंहटाएंचाहती थी तुमसे
तुम नहीं आए
रश्मियों ने कहा तुम
निकल चुके हो
अनजान सफ़र पर।
ओह!!!
बहुत ही टीस और चुभन भरा इंतजार...
बैचेनियाँ बाँटने की जगह और भी समेटनी पड़ी
बहुत ही हृदयस्पर्शी मार्मिक सृजन।
आभारी हूँ आदरणीय सुधा दी।
हटाएंसादर
ओह , ये अनजान सफर सारी उम्मीद पर तुषारापात कर देता है ।।
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति ।
आभारी हूँ आदरणीय संगीता दी जी।
हटाएंसादर
अहसासों का सुंदर सृजन । बहुत बधाइयाँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसादर
जो अनजान सफ़र पर बिना बताए चला जाता है वो साथ में हमारा बहुत कुछ लिए जाता है । हमारे पास बस आह ही रह जाती है ।
जवाब देंहटाएंसही कहा आदरणीय अमृता दी जी।
हटाएंआभारी हूँ।
सादर
बेहद हृदयस्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सखी।
हटाएंसादर
बहुत मार्मिक !
जवाब देंहटाएंएक प्रेम कहानी जो अधूरी ही रह गयी !
आभारी हूँ सर।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर प्रणाम
'रश्मियों ने कहा तुम
जवाब देंहटाएंनिकल चुके हो
अनजान सफ़र पर।' ... बहुत ही सुन्दर लिख गई हैं आ.अनीता जी आप! आपकी इस कविता ने बहुत प्रभावित किया।
आभारी हूँ आदरणीय सर।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर प्रणाम
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार सर।
हटाएंआभारी हूँ।
आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर