प्रभा प्रभाती झूमे गाये
मुट्ठी मोद स्वप्न लाई।
बैठ चौखट बाँटे उजाला
बिखरे हैं भाव लजाई।।
चाँद समेटे धवल चाँदनी
अंबर तारे लूट रहा।
प्रीत समीरण दाने छाने
पाखी साथ अटूट रहा।
भोर तारिका करवट बदले
पलक पोर पे हर्षाई।।
चहके पंख पसार पखेरू
धरणी आँगन गूँज रहा।
छाँव कुमुद गढ़ आँचल ओढ़ा
तपस टोहता कूँज रहा।
नीहार मुकुट पहने धरणी
सजल दूब है इठलाई।।
कोंपल मन फूटे इच्छाएँ
बूँटा रंगे रंगरेज।
डाली सौरभ बन लहराए
गढ़े पुरवाई जरखेज।
होले-होले डोले रश्मियाँ
स्वर्णिम आभा है छाई।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत सुदर चित्र खाींचा आपने अनीता बहन, चहके पंख पसार पखेरू
जवाब देंहटाएंधरणी आँगन गूँज रहा।
छाँव कुमुद गढ़ आँचल ओढ़ा
तपस टोहता कूँज रहा।
नीहार मुकुट पहने धरणी
सजल दूब है इठलाई।। वाक्य विन्यास, भाव और भाषा का अद्भुत संयोजन, वाह
आभारी हूँ आदरणीय दी जी।
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बहुत सुन्दर मधुर रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय आलोक जी सर।
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चाँद समेटे धवल चाँदनी
जवाब देंहटाएंअंबर तारे लूट रहा।
प्रीत समीरण दाने छाने
पाखी साथ अटूट रहा।
अप्रतिम भावों को सुगढ़ शब्दावली में बाँधे अति सुन्दर नवगीत ।
आभारी हूँ आदरणीय मीना दी जी।
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किसी केनवास पे जैसे शब्दों के चित्र उकेर दिए आपने ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...
आभारी हूँ आदरणीय दिगंबर नसवा जी सर।
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चाँद समेटे धवल चाँदनी
जवाब देंहटाएंअंबर तारे लूट रहा।
प्रीत समीरण दाने छाने
पाखी साथ अटूट रहा।
भोर तारिका करवट बदले
पलक पोर पे हर्षाई।।प्रकृति के प्रदीप्त को बिखेरती सुन्दर रचना। गणेश चतुर्थी पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई अनीता जी ।
आभारी हूँ आदरणीय जिज्ञासा दी जी।
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दिगंबर जी ने ठीक कहा। आपने राजस्थानी भाषा के शब्दों को ही मानो रंगों की भांति प्रयोग में लाकर प्रकृति का एक अति-सुन्दर चित्र बनाया है।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय जितेंद्र जी सर।
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बहुत सुन्दर नवगीत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगणेशोत्सव की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं
आभारी हूँ आदरणीय कविता रावत दी जी।
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आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 02.09.2021 को चर्चा मंच पर होगी।
जवाब देंहटाएंआप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
बहुत बहुत शुक्रिया सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
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मनोहारी रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय अनीता दी जी।
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बहुत सुन्दर रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय जेन्नी दी जी।
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हिंदी दिवस की शुभकामनाएं सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय जोशी जी सर।
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रस,रूप,गंध से एन्द्रिय संवेदना को आह्लादित करती हुई अति सुन्दर कृति । उद्दात सौंदर्य देखते ही बन पड़ रहा है । हृद्याभिराम !
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आदरणीय अमृता दी जी।
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