उसके द्वारा दिए गए
उपहार
अनोखे होते हैं
जुदा, सबसे अलग
कुकून में लिपटी
तितली की तरह।
या कहूँ नंगे पाँव दौड़ती
दुपहरी की तरह
या फिर झुंड में बैठी
उदास शाम की तरह
बड़े अनोखे होते हैं
उसके द्वारा दिए उपहार।
कभी-कभार उसका
भूले से
अलगनी पर भूल जाना
भीड़ में भटके
अकेलेपन को
दीन-दुनिया से बे-ख़बर
एकांत को
सीली-सी रात में अंकुरित
एहसास को
बड़े अनोखे होते हैं
उसके द्वारा दिए उपहार।
उन भीगे-से पलो में
सौंप देना ऊँची उड़ान
खुला आसमान
तारों को छूने की ललक
देखते ही देखते
अंत में
मौली से बाँध देना मन को
अनोखे होते हैं उसके तोहफ़े
अलग,सबसे अलग।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
अद्भुत!! मन के भाव स्वछंद बिना किसी सहारे बह निकले।👌👌👌.
जवाब देंहटाएंएहसास अवगुंठन से निकल कर काव्य में ढल ग्रे।
अभिनव अभिव्यक्ति।
दिल से आभार आदरणीय कुसुम दी जी।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
देखते ही देखते
जवाब देंहटाएंअंत में
मौली से बाँध देना मन को
अनोखे होते हैं उसके तोहफे
अलग सबसे अलग।
अनोखे तोहफे...इतने जज्बाती कि अनोखे शब्दों में बह निकली बिल्कुल अनोखी कविता....
वाह!!!!
आभारी हूँ आदरणीय सुधा दी जी।
हटाएंसादर
वाह, बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुज।
हटाएंसादर
आपकी कविता तो बहुत ही सुंदर है अनीता जी। कृपया यह भी बता दें कि 'उसके' से आपका अभिप्राय किससे है?
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार सर।
हटाएंकोई नहीं है सर🥺
मन का एक ख्याल है यह।
आपके प्रश्न पर कुछ लिखने का मन हुआ।😂
याद में उसकी नैना बरसे,
सुबह-सवेरे दिल ये तरसे।
प्रीत में उसकी सुध-बुध खोई।।
ऐ ! सखी साजन!! ना सखी भाई।
सादर
और अब यह जो 'कहमुकरी' आपने रच डाली है, उसका तो कहना ही क्या! बहुत ख़ूब!
हटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंउत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
सादर
👋🏻👋🏻👌👌🌹🌹
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी।
हटाएंसादर
कविता लाजवाब जवाब लाजवाब :) :) :)
जवाब देंहटाएंअत्यंतहर्ष हुआ सर... सृजन सार्थक हुआ।
हटाएंसादर प्रणाम
भावों का दरिया अबाध गति से बहता हुआ । मनमोहक सृजन ।
जवाब देंहटाएंदिल से अनेकानेक आभार आदरणीय मीना दी जी।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
क्या बात है ! कोई नहीं है फिर भी कोई है
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
उन भीगे-से पलो में
जवाब देंहटाएंसौंप देना ऊँची उड़ान
खुला आसमान
तारों को छूने की ललक
देखते ही देखते
अंत में
मौली से बाँध देना मन को
अनोखे होते हैं उसके तोहफ़े
अलग,सबसे अलग।
बहुत गहरे भाव अद्भुत सृजन
आभारी हूँ प्रिय मनीषा जी।
हटाएंआपको बहुत सारा स्नेह।
सादर
तारों को छूने की ललक
जवाब देंहटाएंदेखते ही देखते
अंत में
मौली से बाँध देना मन को
अनोखे होते हैं उसके तोहफ़े
अलग,सबसे अलग।
.. बहुत सुंदर,अनुपम,अनमोल सी मन को छूती,सुगंध बिखेरती रचना ,बहुत बधाई प्रिय अनीता को ।
आभारी हूँ आदरणीय जिज्ञासा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
सादर