आळा माही धधके दिवलो
पछुआ छेड़ मन का तार।
प्रीत लपट्या जळे पतंगा
निरख विधना रा संसार।।
रुठ्यो बैठो भाव समर्पण
नयन कोर लड़ावे लाड़।
खुड बातां का काढ़ जीवड़ो
टेड़ी-मेडी बाँध बाड़।
विरह प्रेम री पाट्टी पढ़तो
चुग-चुग आँसू गुँथे हार।।
बूझे हिय रो मोल बेलड़ी
यादा ढोव बिखरा पात।
जीवन क्यारी माँज मुरारी
रम्या साँझ सुनहरी रात।
अंबर तारा बरकी कोंपल
चाँद हथेल्या रो शृंगार।।
धवल चाँदनी सुरमो सारा
जागी हिय की पीर रही।
थाल सजाया मनुवारा में
आव भगत की खीर रही।
हलवो पूरी खांड खोपरो
झाबा भर-भर दे उपहार।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
शब्द =अर्थ
आला -ताख,आळा,ताक़
दिवलो -दीपक
लपट्या -लौ
बेलड़ी-बेल
हथेल्या -हथेली
झाबा-बाँस या पतली टहनियों का बना हुआ गोल और गहरा पात्र, टोकरी
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-10-21) को "पढ़ गीता के श्लोक"(चर्चा अंक 4213) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आभारी हूँ आदरणीय कामिनी दी मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
वाह बहुत बहुत बहुत ही उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय मनीषा जी।
हटाएंसादर स्नेह
मन को छू गया यह गीत अनीता जी।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंमनोबल बढ़ाने हेतु।
सादर
गहन लेखन।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ अनुज।
हटाएंसादर
सुंदर भावभरा गीत अनीता जी, आपको नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय जिज्ञासा दी जी।
हटाएंसादर
बढ़िया अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय दी।
हटाएंमनोबल बढ़ाने हेतु।
सादर
हृदय स्पर्शी विरह गीत राजस्थान की सौंधी माटी की सौंधी खुशबू बिखेरता गीत ,भाव प्रणव सुंदर शब्द चयन।
जवाब देंहटाएंखुड बातां का काढ़ जीवड़ो
टेड़ी-मेडी बाँध बाड़।
जबरदस्त 👌 विरहन के भावों में पिघलता संसार।
सौणों गीत।
आभारी हूँ आदरणीय कुसुम दी जी आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
अनीता, तुम्हारे विरह-गीत दिल को छू लेते हैं.
जवाब देंहटाएंइस गीत में तो तड़प-कसक की पराकाष्ठा है.
मेरे अनुरोध पर गीत के नीचे कठिन शब्दों के हिंदी अर्थ भी दे दो.
आभारी हूँ आदरणीय गोपेश जी सर मनोबल बढ़ाने हेतु। आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
बहुत सुंदर रचना,अनिता।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय ज्योति बहन।
हटाएंसादर
भावभीनी रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय अनीता दी जी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
वाह!प्रिय अनीता ,बहुत ही खूबसूरत सृजन । आपके विरह गीत ,भाषा का लालित्य ,माटी की खुशबू लिए मन को छू जाते हैं ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी।
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
सादर
वाह शानदार सृजन
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय दी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर